केएस रावत। उत्तराखंड बनने के 23 साल बाद भी यमकेश्वर विधानसभा के अंतर्गत डाडामंडल, गंगा भोगपुर, तालघाटी, त्याड़ो घाटी हेतु न कोई स्थाई सड़क है, न पुल और न ही बच्चों के भविष्य हेतु स्कूल, कालेज। उत्तराखंड बनने के बाद से आज तक किसी भी जनप्रतनितिनिधि ने चाहे वो किसी भी पार्टी से जुड़ा हो, इस क्षेत्र के विकास में कोई रुचि नहीं दिखाई। जिस कारण यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र राजधानी देहरादून से मात्र 80 किलोमीटर दूर होने के बावजूद विकास की रेस से कोसों दूर है।
किमसार से गंगाभोगपुर तक जागरूकता रैली का आयोजन
लोक सभा चुनाव के बहिष्कार को लेकर कल न्याय पंचायत किमसार से तल्ला बनास, मल्ला बनास, किमसार, रामजीवाला, धारकोट, गंगा भोगपुर के बीन नदी पुल तक जन-जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसमें सुशील नेगी, मधूसूदन अमोली, धर्मपाल रावत, सोहन सिंह रावत, सुमन रावत, नरेश नेगी आदि लोग शामिल रहे।
जब तक क्षेत्र का विकास नहीं, तब तक वोट नहीं
लोगों का कहना है कि क्या इस क्षेत्र की जनता सिर्फ वोट बैंक है? जिसका इस्तेमाल केवल मतदान के अवसर पर किया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस दौर से हम गुजर रहे हैं, क्या इसी दौर से भावी पीढ़ी को भी गुजरना होगा? इसलिए इस बार क्षेत्रीय निवासियों का कहना है कि जब तक क्षेत्र का विकास नहीं होता, तब तक वोट नहीं दिया जायेगा।
क्षेत्र की मुख्य मांगों में- बीन नदी पर पुल का निर्माण, कौड़िया-किमसार मोटरमार्ग का डामरीकरण, तल्ला गंगाभोगपुर में तटबंध बनाना, कौड़िया-विंध्यवासिनी-ताल-कन्डरा (ताल घाटी) स्थाई आलवेदर रोड़ का निर्माण शामिल है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक इन मुख्य मांगों पर विचार नहीं होगा, तब तक पूरा क्षेत्र एकजुट होकर आने वाले लोकसभा चुनाव का पुरजोर बहिष्कार करेगा। https://sarthakpahal.com/
इसके अलावा कुछ और मांगों में यमकेश्वर के सभी जनता इंटर कालेज (चमकोटखाल, यमकेश्वर और किमसार) का सरकारीकरण, अमोला से ताछला मैदान तक सड़क, शीला में पुल, गुंडी रोड का रणचूला तक विस्तारीकरण, कांडाखाल ताल खेराणा मोटर मार्ग का डामरीकरण, धारकोट-जुलेड़ी मोटर मार्ग, कसान और देवराना में आई आपदा में आपदा पीड़ितों को उचित मुआवजा के साथ विस्थापन, अमोला सड़क का डामरीकरण, देवराना से गुंडी, आवई, माला, शीला, कचुंडा सड़क मार्गों का डामरीकरण शामिल हैं।
क्षेत्र की समस्त जनता से अपील की गयी है कि जब तक क्षेत्र के इन राजनीतिज्ञों को आईना नहीं दिखाया जाता, तब तक क्षेत्र का विकास असंभव है। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में जो भी जनप्रतिनिधि वोट मांगने आये उसे अपनी इन मांगों से अवगत कराया जाये और जब तक लिखित आश्वासन न मिल जाए, तब तक इन राजनीतिज्ञों के बहकाने में आया जाए।