केएस रावत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ दौरे की धमक से धामी सरकार गदगद है। गढ़वाल में चारधाम यात्रा की तरह कुमाऊं में मानसखंड यात्रा के लिए जो गलियारा तैयार करने का मुख्यमंत्री जो सपना देख रहे हैं, पीएम ने उसे नई उड़ान दे दी है।
पीएम ने अपने पिथौरागढ़ दौरे धमक के साथ धामी की धूम साफ नजर आई। जनसभा के मंच पर पीएम मोदी के मुंह से अनायास ही निकला, वाह धामी जी वाह। उनकी पीठ थपथपाकर उन्होंने उत्तराखंड की सियासत को धामी की मजबूती का संदेश साफ कर दिया। बकौल पीएम, हमारी सरकार केदारखंड और मानसखंड की कनेक्टिविटी पर बहुत जोर दे रही है।
भाजपा की चुनावी राह आसान कर गये मोदी
पीएम मोदी का एक दिवसीय उत्तराखंड दौरा भले ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ा हो, लेकिन इस दौरे ने आगामी चुनाव को लेकर भाजपा की राह आसान कर दी है। मोदी ने भारत की आर्थिक, सामरिक, आध्यात्मिक तरक्की को लेकर न केवल वाहवाही लूटी, बल्कि मतदाताओं के दिलों को झांकने का भी प्रयास किया। मोदी ने कहा कि आगामी दशक उत्तराखंड का दशक होगा। मोदी ने कहा कि भारत की समृद्धि, सुरतक्षा और संस्कृित तीनों रूपों के उत्तराखंड में दर्शन होते हैं। उन्होंने केदारनाथ, बदरीनाथ की तर्ज पर मानसखंड के विकास का वादा किया। https://sarthakpahal.com/
सियासी पहाड़ में दरारें भरने की कोशिश
दौरे की शुरुआत के लिए पीएम ने पिथौरागढ़ को ही क्यों चुना? इसके धार्मिक, सामरिक ही नहीं सियासी निहितार्थ भी हैं। चीन सीमा के पास आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन, पूजा अर्चना, वहां तैनात जवानों के बीच जाना, सीमांत गांवों के लोगों के साथ संवाद करना, हर घटना का अपना संदेश है। इस यात्रा में एक सियासी संदेश भी छिपा है। लोकसभा क्षेत्र के इस सियासी पहाड़ में जो दरारें दिखाई दे रही हैं, पीएम मोदी के जनसंपर्क और जनसभा में उमड़े जनसैलाब ने उन्हें भरने की कोशिश की है।