देश को झखझोरने वाले निठारी कांड के नर पिशाच सुरेंद्र कोली और पंढेर को इलाहाबाद HC ने किया बरी
प्रयागराज। यूपी के बहुचर्चित नोएडा निठारी कांड में सोमवार को इलाहाबाद HC ने अपना फैसला सुना दिया। सीबीआई कोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ दायर की गई सुरेंद्र कोली और मनिंदर पंढेर की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने 134 दिन की लंबी सुनवाई के बाद दोनों आरोपियों को बरी करने का आदेश सुना दिया।
एक दर्जन से अधिक मामलों में मिली है फांसी की सजा
नोएडा के चर्चित निठारी कांड में निचली अदालत से कोली को एक दर्जन से अधिक मामलों में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। यह प्रकरण वर्ष 2005-06 के बीच का है। मामले का पर्दाफाश तब शुरू हुआ, जब नौकरी की तलाश में घर से निकली एक युवती के पिता ने बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट नोएडा के सेक्टर-20 थाने में दर्ज कराई थी। पुलिस की जांच में दिल दहला देने वाला मामला प्रकाश में आया था। https://sarthakpahal.com/
पंढेर की कोठी के पीछे मिले थे 19 कंकाल
पुलिस ने निठारी में रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से बच्चों और महिलाओं के दर्जनों कंकाल बरामद किए गए थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया था। पुलिस की विवेचना के बीच ही मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के कुल 16 मामले दर्ज किए थे। कोली पर आरोप है कि वह पंढेर कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था। वह उनसे दुष्कर्म कर हत्या कर देता था। लाश के टुकड़े कर बाहर फेंक आता था।
कब-कब सुनाई फांसी की सजा
13 फरवरी 2009, 12 मई 2010, 28 अक्तूबर 2010, 22 दिसंबर 2010, 24 दिसंबर 2012, 7 अक्तूबर 2016, 16 दिसंबर 2016, 24 जुलाई 2017, 8 दिसंबर 2017, 2 मार्च 2019, 6 अप्रैल 2019 और 15 जनवरी 2021 को सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई गयी थी।
फांसी के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगा रखी है रोक
गाजियाबाद स्थित सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को एक दर्जन से अधिक मामले में फांसी की सजा सुनाई है। हालांकि, फांसी की सजा के क्रियान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। फांसी की सजा के सभी आदेशों को कोली ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी थी। कोली के वकील का तर्क था कि पुलिस की यातना के चलते कोली ने जुर्म स्वीकार किया था।