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हर घर से एक बच्चा अपने सिर पर कफन बांधकर सनातन के लिए निकलेगा: धीरेंद्र शास्त्री

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देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचे बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने उत्तराखंडवासियों को सनातन धर्म का झंडा बुलंद करने का संदेश दिया। धीरेंद्र शास्त्री रात करीब 8:30 बजे कार्यक्रम स्थल परेड ग्राउंड पहुंचे। इसके बाद सीएम धामी, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि और स्वामी दर्शन भारती का भाषण हुआ। रात करीब 9:30 बजे दिव्य दरबार की शुरुआत हुई। दिव्य दरबार के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों का उत्साह देखकर देहरादून में पांच दिनों तक कथा करने का ऐलान किया।

धीरेंद्र शास्त्री सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक: सीएम


मुख्यमंत्री धामी के साथ जैसे ही धीरेंद्र शास्त्री मंच पर पहुंचे तो ढोल-नगाड़ों की थाप और जय श्रीराम के नारों के साथ भक्तों ने उनका स्वागत किया। पूरा कार्यक्रम स्थल श्रीराम और हनुमान के भजनों से गुंजायमान रहा। कार्यक्रम के लिए भक्त शुक्रवार से जुटने शुरू हो गए थे। उन्होंने पं. धीरेंद्र शास्त्री से आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सनातन संस्कृति का संरक्षक बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री हमारी सनातन संस्कृति के संरक्षक के रूप में भारत की सही पहचान भावी पीढ़ी तक पहुंचा रहे हैं।

उत्तराखंड भारत का मुकुट: धीरेंद्र शास्त्री


धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि देहरादून में पांच दिनों तक कथा करने का मुख्य उद्देश्य होगा कि उत्तराखंड के हर घर से एक एक बच्चा अपने सिर पर कफन बांधकर सनातन के लिए निकलेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भारत का मुकुट है। ऐसे में सिर सनातन से ऊपर होगा, तभी भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा। धीरेंद्र शास्त्री ने मुख्यमंत्री धामी की तारीफ करते हुआ कहा कि बाबर का देश कहने वाले लोगों को बेघर कर दे, ऐसा मुख्यमंत्री होना चाहिए। धीरेंद्र शास्त्री ने सीएम धामी से कहा कि राजनीतिक सपोर्ट तो नहीं कर पाएंगे, लेकिन धर्मनगरी में मदिरा बंद करके सनातन को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। https://sarthakpahal.com/

ये देश बाबर नहीं, बल्कि रघुवर का है
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि पर्चा तो बहाना है, तुम सबको श्री राम का बनाना है। लव जिहाद के चक्कर में बेटियां खराब ना हो जाए। पहाड़ में मस्जिदें ना बनाई जाए। इसके लिए सनातन का झंडा बुलंद किया जाए। शास्त्री ने दिव्य दरबार में कहा कि जब हमारा शरीर दूसरे ग्रुप के खून को झेल नहीं सकता तो हम दूसरे मजहब को कैसे स्वीकार कर सकते है? ये देश बाबर का नहीं, बल्कि रघुवर का है।

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