उत्तरकाशी। हादसे के चार दिन बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है। मजूदरों को सुरंग से सकुशल निकालने हवाई जहाज से ड्रिल मशीन मंगाई गयी है। बताया गया है कि 50 मीटर तक सुरंग धंस चुकी है। मलबे से रास्ता ब्लॉक हो चुका है। ऐसे में रेस्क्यू करने में बहुत परेशानी आ रही है।
जब पूरा देश 12 नवंबर को दिवाली का त्योहार मना रहा था। उसी सुबह उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में हादसा होता है और 40 मजदूर सुरंग में अंदर फंस जाते हैं।
हादसे के चार दिन बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है। मजूदरों को सुरंग से सकुशल निकालने के लिए रेस्क्यू जारी है। बताया गया है कि 50 मीटर तक सुरंग धंस चुकी है। मलबे से रास्ता ब्लॉक हो चुका है। ऐसे में रेस्क्यू करने में बहुत परेशानी आ रही है।
800 MM का स्टीव पाइप डालने की योजना
अब इस 50 मीटर से भी ज्यादा लंबे मलबे के बीच 800 मिमी की स्टील पाइप डालने का काम शुरु होना है। कोशिश ये है कि मलबे के आर पार स्टील पाइप करके भीतर से ही एक-एक करके मजदूरों को निकालने का प्लान अभी है। फिलहाल तब तक ऑक्सीजन, पानी, खाना, दवाई भेजकर मजदूरों से संपर्क रखा जा रहा है। सभी मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं।
नार्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों से किया गया संपर्क
टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए स्थानीय रेस्क्यू टीमें तो लगी हुई हैं। साथ ही विदेशी रेस्क्यू टीमों से भी मदद ली जा रही है। नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों से संपर्क साधा गया है। थाईलैंड की उसे रेस्क्यू कंपनी से संपर्क किया है जिसने थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को बाहर निकाला था। वहीं, नॉर्वे की एनआरआई एजेंसी से भी संपर्क किया गया है, जिससे सुरंग के भीतर ऑपरेशन में विशेष सुझाव लिए जा सकें। साथ ही दिल्ली मेट्रो और भारतीय रेल के विशेषज्ञों से भी सुरंग के भीतर ऑपरेशन से संबंधित सुझाव लिए जा रहे हैं। https://sarthakpahal.com/
मजदूरों को कब तक निकाला जा सकेगा बता पाना मुश्किल: NHIDCL डायरेक्टर
NHIDCL के डायरेक्टर अंशो मनीष खालको का कहना है कि सुंरग में फंसे मजदूरों को कब तक सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा इसकी समय-सीमा बता पानी अभी मुश्किल है। हमारे पास बैकअप पहले से ही तैयार था. राज्य सरकार हमें मदद कर रही है, लेकिन दूसरी मशीन जो स्टेट ऑफ आर्ट मशीन है वह यहां नहीं थी और बहुत भारी मशीन हैं। 25 टन की मशीन है जिसे दिल्ली से एयरलिफ्ट कराया जा रहा है। डायरेक्टर का कहना है कि मशीन के यहां पहुंचने के कुछ घंटे में उसे असेंबल कर लिया जाएगा। इंडियन एयर फोर्स के तीन एयरक्राफ्ट से सामग्री हमें मिलेगी।
मशीन आने पर तेज होगा रेस्क्यू ऑपरेशन
एयरलिफ्ट करके जो मशीन मंगाई जा रही है उसके जरिए रेट ऑफ पेनिट्रेशनज्यादा से 5 मीटर तक अंदर जा पाएंगे। यदि हमें 50 मीटर जाना है तो 10 से 12 घंटे लगेगा। हमें नहीं पता अंदर हमारी कौन सी मशीन या रॉड सुरंग में अंदर फंसी हुई है। उन सब को देखने के बाद हम कोशिश करेंगे जल्द से जल्द सुरंद में अंदर घुस पाएंगे।