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हेंवल नदी-पुंडरासु योजना से जुड़े कई गांवों में पानी के लिए त्राहिमाम

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यमकेश्वर। हेंवल नदी-पुंडरासु योजना से जुड़े पचासों गांवों में पानी के त्राहिमाम मची हुई है। इन गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है। लगभग हजारों ग्रामीणों प्राकृतिक जल स्रोत पर आश्रित होकर रह गए हैं।

यमकेश्वर प्रखंड के अंतर्गत ग्राम सभा मराल, भादसी, पावली और कोठार आदि गांवों से जुड़े पर्वतीय क्षेत्र के तकरीबन पचासों गांवों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। इन सभी क्षेत्रों के लिए हेंवल नदी-पुंडरासु योजना से पेयजल की सप्लाई की जाती है। इस हेंवल नदी-पुंडरासु योजना पर लगभग हजारों लोग आश्रित हैं।

कोठार के ग्रामप्रधान नीरज सिंह पयाल का कहना है कि हमारे गांव की पानी की समस्या बड़ी गंभीर है। अभी कुछ दिन पहले बीडीसी की बैठक में भी इस बात का जिक्र किया गया था, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इनका कहना है कि भौनू गांव में तो पानी महीने में केवल एक दो दिन ही पहुंच पाया है उसके बाद तो गांव वालों को नल के दर्शन ही नहीं हुए हैं।

भादसी के ग्रामप्रधान डबल सिंह भंडारी का कहना है कि हमारे गांव में तो पानी की समस्या जी का जंजाल बनी हुई है। प्राकृतिक स्रोत भी सूखने की वजह वहां ताला पड़ा है। एक स्थान से 10-10 घरों को पानी सप्लाई की जाती है। अगर नल में पानी आता भी तो मात्र एक-दो बाल्टी ही हरेक के हिस्से में आती है। प्रधान कहना है कि हम यमकेश्वर से पानी के टैंकर मंगाकर गांवों में दो-दो, चार-चार बाल्टी पानी सप्लाई कर रहे हैं। उसी दो-चार बाल्टी में पूरा गांव और उनके जानवर दोनों निर्भर हैं। पाइप लाइन जो गांवों में बिछी है वो मात्र शोपीस बनकर रह गयी है, क्योंकि गांवों में लो वोल्टेज की समस्या हमेशा बनी रहती है, इसके अलावा आंधी की वजह से भी बिजली के कई खंभे उखड़े पड़े हैं।

‘पंपिंग योजना पूरी तरह से ठीक है, लेकिन लो वोल्टेज की वजह से योजना कार्य में लगे पंप ठीक तरह से कार्य नहीं कर पा रहे हैं। पूर्व में पंपिंग योजना के नजदीक ही ऊर्जा निगम का ट्रांसफार्मर लगा था, जो कुछ समय पहले खराब हो गया है। निगम को ट्रांसफार्मर की रिपेयरिंग करने के लिए कहा गया है।’
संतोष कुमार उपाध्याय, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान, कोटद्वार

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