
उत्तरकाशी। सुरंग में आज सुबह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का काम तो शुरू हो गया है, लेकिन ऑगर मशीन ने अभी काम शुरू नहीं किया है। अगले 20 -30 घंटे में खुशखबरी मिल जायेगी। ट्रांसपोर्ट सचिव अनुराग जैन ने बताया कि यदि सब कुछ ठीक रहा और अगर बीच में कोई बड़ा पत्थर नहीं आया या कोई स्टील की चीज नहीं आई तो हम दो-ढाई दिन में मजदूरों को वापस निकाल लेंगे।
मंगलवार शाम को रोटी-सब्जी और पुलाव भेजा गया
मजदूरों को निकालने के लिए लगातार 5-6 एजेंसीज के बीच कोऑर्डिनेशन जारी है। ऐसे में वर्टिकल और हॉरिजेंटल दोनों तरफ से ड्रिलिंग का की जा रही है। NHIDCL फूड, ऑक्सीजन और पानी की सप्लाई को नीचे पहुंचाने का काम कर रहा है। सोमवार को ही NHIDCL ने सुरंग के अंदर तक 6 इंच चौड़ा पाइप डाला था, जिसके जरिए भोजन और अन्य जरूरी सामानों को अंदर भेजा जा रहा है। फंसे मजदूरों को निकालने के लिए RVNL और BRO एक साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 20 -30 घंटे अहम हैं।
फंसे लोगों के परिजनों के ठहरने का इंतजाम
अनुराग जैन के मुताबिक 6 इंच के पाइप के बाद हालात थोड़े सुधरे हैं। अब हम मजदूरों से सीधे संपर्क में हैं। उन्हें अब खाना और ऑक्सीजन मिल पा रही है। उन्होंने बताया कि जो भी परिवार के लोग हैं, उनको होटल में ठहराया जा रहा है और उनके लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है।
ड्रिलिंग में कहां है सबसे ज्यादा चुनौती?
हॉरिजेंटल ड्रिलिंग के लिए Auger मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें कि 60 से 65 मीटर के डिस्टेंस में सबसे ज्यादा चुनौती है। चुनौती यह है कि इसमें पत्थर भी हो सकता है, इसमें आयरन रॉड भी हो सकता है। प्रशासन की कोशिश है कि जल्द से जल्द यहां पर ऑपरेशन को पूरा किया जाए। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए दुनिया के तीन-चार एक्सपर्ट वहां मौजूद हैं और ऑनलाइन भी एक्सपर्ट्स की सलाह ली जा रही है। भारत सरकार इन 41 मजदूरों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।
किस राज्य के कितने मजदूर?
इस टनल में अलग-अलग राज्यों के कुल 41 मजदूर फंसे हुए हैं। इनमें से उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश से 1, यूपी से 8 मजदूर, बिहार से 5, पश्चिम बंगाल से 3 मजदूर, असम से 2, झारखंड से 15 मजदूर और ओडिशा से 5 मजदूर शामिल हैं।