उत्तरकाशी। उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन में कई तरह की बाधाएं आ रही हैं। रेस्क्यू का आज 16वां दिन है। 30 नवम्बर तक यदि सबकुछ ठीकठाक चला तो अच्छी खबर आ सकती है। भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स का एक इंजीनियर ग्रुप, समूह, मद्रास सैपर्स की एक यूनिट भी रेस्क्यू ऑपरेशन मे जुटा हुआ है। ये जवान मैनुअल ड्रिलिंग में सहयोग करने के साथ-साथ ऑगर मशीन के शॉफ्ट काटकर अलग कर रहे हैं।
48 मी फंसी ऑगर मशीन के ब्लेड आज सुबह पूरी तरह से पाइप से काटकर निकाल लिया गया। 11 लोगों की रैट माइनर (इस तरह के कार्यों में पारंगत टीम) की अब पाइप के भीतर अगले 10 मीटर को मैन्युअल ड्रिल करेगी। सुरंग के भीतर आज से मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो सकता है। ऑगर मशीन को पीछे खींच जाएगा उसके बाद पाइप के मार्बन की सफाई होगी और फिर रेट माइनर की टीम एक बार में 6 घंटे लगातार अपने उपकरणों के साथ अंदर के पत्थर औजारों और राह में आने वाले धातु के हिस्सों को काटकर रास्ता बनाएगी। जैसे ही आगे मलवा काटा जाएगा और पाइप के लिए रास्ता बांटा जाएगा। मुंबई के सीवर में काम करने वाले श्रमिकों की भी मदद ली जा रही है जो मलबा हटाकर अंदर के लिए रास्ता बनाएंगे।
45 मीटर की ड्रिलिंग के बाद चेंज होगी मशीन
सुरंग में फंसी ऑगर मशीन को टुकड़ों में काट-काटकर बाहर निकाला जा रहा है। नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि ऑगर मशीन अब 8.9 मीटर बची है और उसे निकालने के लिए काम तेजी से चल रहा है। इसके बाद मैन्युअली एस्केप टनल बनाने का काम चलेगा।
श्रमिक सकुशल, लगातार भेजी जा रही है खाद्य सामाग्री
वहीं सरकार ने बताया कि दूसरी लाइफ लाइन (150 मिमी व्यास) सर्विस का उपयोग करके श्रमिकों के लिए नियमित अंतराल पर सुरंग के अंदर ताजा पका हुआ भोजन और ताजे फल डाले जा रहे हैं। इस लाइफ लाइन में नियमित अंतराल में संतरा, सेब, केला आदि फलों के साथ-साथ औषधियों एवं लवणों की भी पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है। भविष्य के स्टॉक के लिए अतिरिक्त सूखा भोजन भी पहुंचाया जा रहा है। एसडीआरएफ द्वारा विकसित वायर कनेक्टिविटी युक्त संशोधित संचार प्रणाली का उपयोग संचार हेतु नियमित रूप से किया जा रहा है। अंदर मौजूद लोगों ने बताया है कि वे सुरक्षित हैं। वहीं श्रमिकों को 10 दिन के लिए पर्याप्त भोजन पैकेट सामग्री भंडारण के लिए भेज दी गई है। https://sarthakpahal.com/