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मोदी ने देशवासियों से कहा, शादी के लिए विदेश जाने के बजाय उत्तराखंड आइये

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देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि शादी के लिए विदेश जाने के बजाय उत्तराखंड आइये। चारधाम के अलावा उत्तराखंड का नैसर्गिक सौंदर्य हमेशा से देश-दुनिया के लोगों को आकर्षित करता रहा है। अब वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी प्रदेश खास पहचान बनाएगा। उत्तराखंड ग्लोबल समिट के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से शादियों के लिए विदेश जाने के बजाय उत्तराखंड आने का आह्वान किया है।

प्रधानमंत्री के इस आह्वान से राज्य में पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों की उम्मीदों को नए पंख लगेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, उत्तराखंड में विकास और विरासत दोनों पर काम होना चाहिए। विरासत से उन्होंने वेडिंग डेस्टिनेशन की ओर इशारा किया। ज्ञात हो कि रुद्रप्रयाग के त्रियुगीनारायण में शिव-पार्वती की विवाह स्थली है, जहां मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, आईएएस अधिकारी ललित मोहन रयाल, अभिनेत्री कविता कौशिक (चंद्रमुखी चौटाला) सहित कई हस्तियां विवाह बंधन में बंध चुके हैं। https://sarthakpahal.com/

इस वर्ष 14 जनवरी से 15 दिसंबर तक त्रियुगीनारायण मंदिर में करीब 80 जोड़े विवाह सूत्र में बंधे, जिनमें स्थानीय के साथ ही अन्य क्षेत्रों और जनपदों के लोग भी शामिल हैं। इसके अलावा टिहरी झील, उत्तरकाशी जिले में हिमाचल सीमा में स्थित हाटकोटी माता मंदिर में भी हर साल शादी के लिए कई जोड़े पहुंचते हैं। देहरादून में क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी भी शादी कर चुके हैं।

गढ़वाल के अलावा कुमाऊं में भी जागेश्वर धाम, रामनगर, भीमताल, पिथौरागढ़, कौसानी जैसे स्थानों पर भी वेडिंग डेस्टिनेशन की संभावनाएं हैं। चमोली जिले का औली भी प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है, लेकिन इसकी पहचान अब तक बर्फबारी के दीदार और स्कीइंग तक ही सीमित है। हालांकि, अक्तूबर में संस्कृति के क्षेत्र में काम कर रहे पांड्वाज ग्रुप के कुणाल डोभाल ने यहां शादी समारोह का आयोजन कर वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में आशा की किरण दिखाई है।

त्रियुगीनारायण को सरकार घोषित कर चुकी है वेडिंग डेस्टिनेशन


2018 में प्रदेश सरकार ने त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन पांच साल बाद भी यहां सुविधाएं न के बराबर हैं। मंदिर के पुजारियों और तीर्थपुरोहितों तक के लिए शौचालय और स्नानघर तक की सुविधा नहीं है। इसके अलावा ऊखीमठ में अनिरुद्ध और ऊषा का विवाह स्थल भी है, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह देश-दुनिया से अछूता है।

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