यमकेश्वर, 17 जनवरी। अजमीर-उदयपुर गेंद मेला एवं विकास समिति थलनदी की ओर से आयोजित गेंद मेले में गिंद्दी का खेल संघर्षपूर्ण रहा। हमेशा की भांति अजमीर और उदयपुर पट्टियों के बीच गिंद्दी को लेकर संघर्ष रहा है। इस गेंद मेले का कोटद्वार से लेकर डाडामंडी और यमकेश्वर ब्लाक के थलनदी तक बड़ा महत्व है। यही नहीं बल्कि पूरे पौड़ी जिले में मकर संक्रांति के दिन यह अनोखा मेला है। आज यह मेला कई जगह पर आयोजित किया जाता है, लेकिन इस मेले की उत्पत्ति थलनदी से ही मानी गई है।
पिछले साल की तरह इस साल भी अजमीर पट्टी को हार को हार मुंह देखना पड़ा। दोपहर 2 बजे से शुरू हुए इस गिंद्दी के लिए गुत्थमगुत्था में उदयपुर पट्टी के नौजवानों का दबदबा रहा। पूरे मैच में उदयपुर केे युवा हावी रहे। हालांकि कुछ समय लगा कि अजमीर पट्टी इस बार कुछ नया करने वाली है, लेकिन उदयपुर के जवानों ने कड़े संघर्ष के बाद उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गिंद्दी का संघर्ष दोपहर 2 बजे से शुरू होकर रात 8 बजे जाकर थमा, जब उदयपुर के कब्जे में गेंद आ गयी। नवयुवकों ने दिनभर की थकान को डांस कर खुशियों में बदल दिया। इस मौके पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। देखिये
इस मौके पर विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को महाबगढ़ गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। मेले का उद्घाटन ब्लॉक प्रमुख दुगड्डा रुचि कैंत्यूरा, जिला पंचायत सदस्य आरती गौड़ ने संयुक्त रूप से किया। गेंद मेला समिति की ओर से गेंद पर मुहर लगाने और हस्ताक्षर करने के बाद गिंदी मेला शुरू हुआ। इस मौके पर गोसेवक जगदीश भट्ट, पूर्व प्रमुख कृष्णा नेगी, चंडी प्रसाद कुकरेती, क्षेपंस सुदेश भट्ट, मिथलेश नेगी, संजीव चौहान, गेंद मेला समिति के अध्यक्ष सुबोध नेगी, उपाध्यक्ष नत्थी सिंह आदि मौजूद रहे।
गिंद्दी कौथिग का ऐतिहासिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार यमकेश्वर ब्लाक के अजमीर पट्टी के नाली गांव के जमींदार की गिदोरी नाम की लड़की का विवाह उदयपुर पट्टी के कस्याली गांव में हुआ था। पारिवारिक विवाद होने पर गिदोरी घर छोड़कर थलनदी पर आ गई। उस समय यहां पर दोनों पट्टियों के गांव (नाली और कस्याली) के लोग खेती कर रहे थे। नाली गांव के लोगों को जब यह पता चला कि कि गिदोरी ससुराल छोड़कर आ रही है तो वे उसे अपने साथ ले जाने लगे जबकि कस्याली गांव के लोग उसे वापस ससुराल ले जाने का प्रयास करने लगे। दोनों गांव के लोगों के बीच संघर्ष और छीना झपटी में गिदोरी की मौत हो गई। तब से थलनदी में दोनों पट्टियों में गेंद के लिए संघर्ष होता है। https://sarthakpahal.com/