
पौड़ी, 27 जनवरी। उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार व पुरातत्वविद डॉ. यशवंत सिंह कठोच इतिहास व पुरातत्व की जानकारियों से भरी 12 पुस्तकें लिख चुके हैं। शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में इसी उल्लेखनीय योगदान के लिए उनका चयन पद्मश्री पुरस्कार के लिए हुआ है। 89 वर्ष की आयु में भी वह लेखन व अध्ययन में जुटे हैं और नई चीजों को जानने व समाज तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
एकेश्वर ब्लाक के मासों गांव के रहने वाले हैं यशवंत सिंह कठोच
डॉ. यशवंत मूल रूप से पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक के मासौं गांव के रहने वाले हैं। हालांकि, वर्तमान में वह पौड़ी जिला मुख्यालय क्षेत्र में रहते हैं और वहीं उनका अध्ययन व लेखन कक्ष है। इन दिनों वह अपने पैतृक गांव आए हुए हैं। उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार के लिए नाम चयनित होने को गौरव का क्षण बताया। उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने से स्वजन, रिश्तेदार, परिचित और क्षेत्रवासी बेहद खुश हैं। यशवंत सिंह कठोच 1995 में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मासों से प्रधानाचार्य के रूप में सेवानिवृत्ति भी हुए थे।
हमेशा से भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व में रही रुचि
डॉ. यशवंत का जन्म 27 दिसंबर 1935 को हुआ था। शुरुआत से ही भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व में उनकी विशेष रुचि रही। परास्नातक के बाद उन्होंने अध्यापन शुरू किया और 1995 में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मासौं से प्रधानाचार्य के रूप में सेवानिवृत्त होने के साथ वह लेखन के लिए समर्पित रहे। उनकी पहली शोध पुस्तक मध्य हिमालय का पुरातत्व 1981 में प्रकाशित हुई थी।
50 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित
उन्होंने उत्तराखंड की सैन्य परंपरा, संस्कृति के पद चिह्न, मध्य हिमालयी पठार का प्रथम खंड, उत्तराखंड का नवीन इतिहास, एडकिंसन मध्य हिमालय का इतिहास-एक अध्ययन, हरिकृष्ण रतूड़ी का गढ़वाल का इतिहास का अध्ययन, भारतवर्ष के ऐतिहासिक स्थलकोश, मध्य हिमालय की कला (मूर्ति कला व वास्तु कला), लेखक भजन सिंह की पुस्तकों का संग्रह सहित कई पुस्तकें लिखीं। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखंड के इतिहास और पुरातत्व की जानकारी से संबंधित कई पुस्तकों का संपादन भी किया है, जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में युवाओं का मार्गदर्शन कर रही हैं। उनके कला, संस्कृति और पुरातत्व पर 50 से अधिक शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। https://sarthakpahal.com/