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कांग्रेसी नेता शैलेंद्र रावत के 12 साल बाद BJP में आने से बड़े भाजपाइयों में बौखलाहट

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के.एस. रावत। कोटद्वार के दिग्गज नेता यमकेश्वर विधानसभा में अच्छी खासी पकड़ रखने वाले कद्दावर नेता शैलेंद्र रावत ने 12 साल बाद एक बार फिर भाजपा का दामन थामा है। कभी बीसी खंडूरी की चुनावी हार के सूत्रधार करार दिए गए रावत की भाजपा में वापसी के बाद जहां कांग्रेस कुछ सझ नहीं पा रही है, वहीं भाजपा का समीकरण भी गड़बड़ा गया है। रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में गढ़वाल मंडल से कई इलाकों में जनाधार रखने वाले कई नेताओं और निकाय पंचायत प्रतिनिधियों ने भाजपा का दामान थाम लिया था।

शैलेंद्र रावत को 2012 में पार्टी से निष्कासित किया गया था
2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कोटद्वार से विधायक रहे शैलेंद्र सिंह रावत को बगावती तेवर के कारण 2012 के चुनाव के बाद पार्टी से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की कोटद्वार से भाजपा से भाजपा के टिकट पर हार का ठीकरा सुरेंद्र सिंह रावत के सिर पर फोड़ा गया था, इसी कारण उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। हालांक उसके बाद जब 2014 में लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो रावत को दोबारा पार्टी में वापस ले लिया गया।

पौड़ी लोकसफा से बीसी खंडूड़ी की जीत के सूत्रधार थे शैलेंद्र सिंह
2014 लोकसभा में जब बीसी खंडूड़ी पौड़ी से लोकसभा का चुनाव जीते तो उनकी जीत का पूरा श्रेय शैलेंद्र रावत को दिया गया। लेकिन, इतना कुछ होने के बावजूद पार्टी के अंदर उन्हें कोई खास तवोज्जो नहीं मिली। इसी कारण जैसे ही 2017 के विधानसभा चुनाव में कोटद्वार से उनका टिकट काटा गया। तो उन्होंने नाराज होकर भाजपा छोड़कर यमकेश्वर सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन यह चुनाव वे हार गए। यही हाल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी हुआ। यहां भी रावत को कांग्रेस ने यमकेश्वर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह दोबारा चुनाव हार गए।

पौड़ी लोकसभा की कमसेकम तीन विधानसभा क्षेत्रों में रावत की अच्छी पकड़
फिलवार वे इस समय कांग्रेस के टिकट पर कोटद्वार से स्थानीय निकाय चुनाव या फिर पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। पौड़ी लोकसभा सीट की कम से कम तीन विधानसभा क्षेत्र में शैलेंद्र रावत की अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। इसी अहमियत को भांपते हुए भाजपा ने बड़ी चतुराई से रावत की दोबारा घर वापसी करा दी। उनके भाजपा में आने से पार्टी के अन्य स्थानीय नेताओं में बौखलाहट साफ देखी जा सकती है। इसका कारण यह है कि पौड़ी लोकसभा सीट और कोटद्वार से मेयर के चुनाव के लिए रावत को स्वाभाविक दावेदार माना जाता है। https://sarthakpahal.com/

बड़े भाजपा नेता पशोपेश में
यदि पार्टी ने उन पर दांव चला तो चुनावी तैयारी में जुटे अन्य नेताओं का क्या होगा? हालांकि न तो भाजपा नेतृत्व ने और न हीं खुद शैलेंद्र रावत ने इस विषय पर कुछ भी कहा है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इतना इशारा जरूर जरूर किया कि पार्टी में आने वाले सभी नेताओं के मान सम्मान का ध्यान रखा जाएगा।

केदारनाथ सीट से निर्दल चुनाव लड़े कुलदीप सिंह भी भाजपा में शामिल
उनके अलावा विधानसभा की केदारनाथ सीट से दो बार निर्दलीय चुनाव लड़ चुके कुलदीप सिंह रावत, पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी के पुत्र राजेश कंडारी, देवप्रयाग नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल, पूर्व ब्लाक प्रमुख जयपाल पंवार, रुद्रप्रयाग जिला पंचायत के उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी के साथ ही पुरोला, घनसाली, टिहरी, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कोटद्वार क्षेत्र से विभिन्न दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

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