UOU में ट्रेनिंग वर्कशॉप ऑन रोल ऑफ़ कम्युनिकेशन फॉर स्पेशल एजुकेटर्स का आयोजन
देहरादून, 31 जनवरी। देहरादून व उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान से ट्रेनिंग वर्कशॉप ऑन रोल ऑफ़ कम्युनिकेशन फॉर स्पेशल एजुकेटर्स का आयोजन UOU सभागार किया गया। इसकी शुरुआत स्पेक्स के अध्यक्ष डॉ बृज मोहन शर्मा द्वारा संदर्भ दाताओं का स्वागत व उनको प्रतीक चिन्ह देकर किया गया। डॉ बृज मोहन शर्मा ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य स्पेशल एजुकेटर्स में संप्रेषण करने की विधा को विकसित करना व संभावित टारगेट ग्रुप को उनकी मूल आवश्यकता को समझकर उपयुक्त वातावरण उपलब्ध करवाना है। जिससे दिव्यांग बच्चों का समुचित विकास करके उनको मुख्य धारा से जोडना है।
कार्यशाला में ग्रासरूट अवेयरनेस एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट ऑफ सोसायटी, स्मार्ट सर्किट प्राइवेट लिमिटेड, स्पीकिंग क्यूब आदि का सहयोग रहा। UOU डॉ सिद्धार्थ पोखरियाल ने अपने संबोधन में सभी बी एड स्पेशल एजुकेटर्स को कार्यशाला में सम्मिलित होने के लिए सराहा व आशा व्यक्त की कि इससे सभी को बहुत कुछ सीखने-समझने को मिलेगा। UOU कार्यशाला के प्रथम सत्र में संदर्भदाता डॉ हेमलता तिवारी द्वारा सभी प्रतिभागियों से संप्रेषण के विभिन्न तरीकों के विषय में बात की।
संप्रेषण बोलकर, देखकर, पढ़कर, लिखकर, हावभाव से किया जा सकता है। एक सही संप्रेषण कर्ता के लिए सही तरीके से अपनी बात को रखा जाता है। उनके द्वारा बहुत से उदाहरणों के माध्यम से अपने विषय को तर्क संगत तरीके से बताया गया। क्लीनिकल साइक्लोजिष्ट रंजीता मुखर्जी द्वारा स्पेशल एजुकेटर्स को दिव्यांग बच्चों के मनोभावों को समझने की मनोवैज्ञानिक तरीके से संबंधित जानकारी से अवगत करवाया गया। कई प्रकार की गतिविधियां के माध्यम से जानकारी प्रेषित की है। उनके द्वारा प्रतिभागियों के कई प्रश्नों के उत्तर दिए गए।
योगेश सोमी भट्ट द्वारा संप्रेषण कला में अभिनय व हावभाव की विधा को विकसित करने हेतु बहुत ही साधारण व महत्वूर्ण टिप्स प्रतिभागियों को दिए गए। भट्ट द्वारा बिना बोले इसारों से व ध्वनि के माध्यम से किस प्रकार अपनी बात सही तरीके से सामने वाले को प्रेषित की जा सकती है पर गतिविधि आधारित प्रस्तुति में सभी को सम्मिलित किया गया।
अभिषेक मंदौला ने नाट्य विधा के माध्यम से उपयुक्त संप्रेषण के गुण सभी को बताए गए। उनके द्वारा छोटे छोटे संवादों से प्रतिभागियों का मनोरंजन के साथ जुड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने हावभाव से संप्रेषण को प्रभावी बनाने के लिए उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों का समझाया।
नीतिका द्वारा अंग्रेजी भाषा में संवाद कला की बारीकियों पर अपनी बात रखी गई। उनके द्वारा शब्दों के माध्यम से संप्रेषण को प्रभावी बनाने वाली मुख्य तकनीकों पर प्रकाश डाला गया।
स्मार्ट सर्किट प्राइवेट लिमिटेड के सौरभ कौशल व राघव शर्मा द्वारा विज्ञान आधारित लॉ कोस्ट ट्वॉयज को संचार का उपयुक्त माध्यम बनाने पर जोर दिया गया। उनके द्वारा बनाए गए किट के उपकरणों द्वारा बहुत ही सरल तरीके से प्रतिभागियों ने विज्ञान संप्रेषण की कला को समझा व इसे अपने विषय से जोड़ने का प्रयास किया। इन गतिविधियों को करते हुए दिव्यांग बच्चों से संवाद स्थापित करने की कला को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इन गतिविधियों से स्पर्श,एकाग्रता,हाथ व आंख के सामंजस्य को बढ़ाया जा सकता है। https://sarthakpahal.com/
कार्यशाला के अंत में डॉ दिनेश कुमार चौधरी ने कार्यशाला के सफल आयोजन हेतु सभी का आभार व्यक्त किया व आशा जताई कि भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाती रहेंगी व उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय अपना सहयोग करता रहेगा।