पूरी बदल जाएगी 12वीं बोर्ड परीक्षा? 9वीं, 10वीं, 11वीं… सबके नंबर मिलाकर बनेगा क्लास 12 बोर्ड रिजल्ट!
नई दिल्ली, 30 जुलाई। एनसीईआरटी की इकाई ‘परख’ ने शिक्षा मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें सभी स्कूल बोर्ड परीक्षाओं में मूल्यांकन प्रक्रिया एक समान करने के उपाय सुझाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि 12वीं बोर्ड के फाइनल मार्क्स में 9वीं, 10वीं और 11वीं कक्षा के प्रदर्शन को भी शामिल किया जाना चाहिए। इन सभी क्लासेस में बच्चों की परफॉर्मेंस उनके एग्जाम्स और क्लास के काम, दोनों को ध्यान में रखकर तय होगा।
12th बोर्ड के लिए किस क्लास को कितना वेटेज
क्लास वाइज वेटेज इस प्रकार निर्धारित किया गया है- 9वीं 15%, 10वीं 20%, 11वीं 25%, 12वीं 40%। ‘परख’ की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रों का मूल्यांकन फॉर्मेटिव असेसमेंट (एग्जाम रिपोर्ट कार्ड, ग्रुप डिस्कशन, प्रोजेक्ट्स, आदि के जरिए कंटीन्यूअस क्लासरूम असेसमेंट) और समेटिव असेसमेंट (टर्म एंड एग्जाम) का कॉम्बिनेशन होना चाहिए।
इस आधार पर रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि- क्लास 9th में फाइनल मार्क्स का 70% Formative Assessment और 30% Summative Assessment से लिया जाए। 10th क्लास में ये 50-50% वेटेज पर हो। क्लास 11th के लिए यह अनुपात क्रमशः 40% और 60% होगा। 12th क्लास में फॉर्मेटिव असेसमेंट का वेटेज घटकर 30% रह जाएगा और फाइनला मार्क्स का योग 70% समेटिव असेसमेंट पर आधारित होगा।
‘परख’ ने अपनी सिफारिशों में यह भी सुझाव दिया है कि आंकलन क्रेडिट के संदर्भ में हो। यानी- एक छात्र 9वीं और 10वीं कक्षा में 40-40 क्रेडिट और 11वीं और 12वीं कक्षा में 44-44 क्रेडिट स्कोर कर सकता है। 9वीं और 10वीं कक्षा में, 32 क्रेडिट सब्जेक्ट स्पेसिफिक होंगे (तीन भाषाओं में 12 क्रेडिट, मैथ्स में चार क्रेडिट, साइंस के लिए 4, सोशल साइंस के लिए 4, आदि) सिफारिशों में शामिल है कि बोर्डों को नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुरूप क्रेडिट ट्रांसफर की एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
राज्यों के स्कूल बोर्ड ने क्या कहा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस रिपोर्ट को सभी स्कूल बोर्डों के साथ उनके फीडबैक के लिए शेयर किया गया है। पिछले सप्ताह हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकारियों के साथ पहले दौर की चर्चा हुई थी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में, राज्यों ने कक्षा-वार प्रदर्शन को शामिल करने के लिए एक अलग दृष्टिकोण का तर्क दिया।
राज्यों ने तर्क दिया कि 9वीं, 10वीं और 11वीं कक्षा के प्रदर्शन को अंतिम 12वीं की रिपोर्ट कार्ड में शामिल करने के बजाय, 9वीं के 40% अंक और 10वीं के 60% अंक को अंतिम 10वीं के अंक में जोड़ा जाना चाहिए। इसी तरह, 11वीं के 40% अंक और 12वीं के 60% अंक को अंतिम 12वीं के अंक में जोड़ा जाना चाहिए। ‘परख’ अब अगस्त में बाकी स्टेट स्कूल बोर्ड्स के साथ चर्चा करेगा।
Parakh क्या है?
परख की स्थापना पिछले साल देश भर के स्कूल बोर्ड्स के आंकलन को मानकीकृत करने के लिए की गई थी। इसका काम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप तय किया गया है। इसमें कैपेसिटी डेवलपमेंट, अचीवमेंट सर्वे, स्कूल बोर्डों की समानता और एक समान मूल्यांकन मानकों को शामिल किया गया है। पिछले एक साल में 32 स्कूल बोर्ड्स के साथ चर्चा के बाद, परख ने इस महीने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को ये रिपोर्ट सौंपी है।