गजब: बिना मान्यता मिले ही अल्मोड़ा के दन्यां डिग्री कालेज से तीन बैच पासआउट
अल्मोड़ा 17 अगस्त। करीब चार साल बीतने के बाद भी दन्यां डिग्री कॉलेज में संसाधनों का अभाव है। जीआईसी में पुराने कमरों अध्यापन चल रहा है। यहां से तीन बैच पास आउट हो चुके हैं, लेकिन अब तक यूजीसी की मान्यता नहीं मिली है।
इससे जहां यूजीसी मानकों के मुताबिक कॉलेज को सुविधा नहीं मिल रही है वहीं आर्थिक तौर पर कमजोर विद्यार्थी छात्रवृत्ति पाने से भी वंचित हैं। इस अव्यवस्था से समझा जा सकता है की सरकारी व्यवस्था उच्च शिक्षा को लेकर कितनी गंभीर है। सरकार ने 12 फरवरी 2021 को दन्यां में डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा की। नवंबर महीने से कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई। स्थापना के समय से ही कालेज जीआईसी में तीन दशक से अधिक समय पूर्व निर्मित संसाधन विहीन, पुरानी आवासीय कालोनी में संचालित है।
2022 में यहां से पहला बैच पास आउट हुआ। कला और वाणिज्य संकाय में वर्तमान में छह सौ से अधिक युवा अध्ययनरत हैं। कालेज संचालित होने के करीब चार साल होने को हैं,लेकिन अब तक यूजीसी की मान्यता नहीं मिली है। कॉलेज को मान्यता नहीं मिलने से जहां यूजीसी मानक के मुताबिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं वहीं आर्थिक तौर पर गरीब विद्यार्थियों के हित भी प्रभावित हो रहे हैं। उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर से गरीब बच्चों को छात्रवृत्ति देने की योजना है, लेकिन दन्यां डिग्री कॉलेज को मान्यता नहीं मिलने से विद्यार्थी छात्रवृत्ति पाने से वंचित हैं। https://sarthakpahal.com/
कॉलेज में लिपिक संवर्ग के दो पद स्वीकृत हैं। दोनों पद खाली होने से प्राचार्य और शिक्षकों को लिपिक का काम भी करना पड़ रहा है। कॉलेज के भवन के लिए सरकार ने 5 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। नवंबर 2022 में कार्यदायी संस्था मंडी परिषद को भवन निर्माण का काम सौंपा गया। निविदा शर्त के मुताबिक डेढ़ साल में यानी मई 2023 में निर्माण-कार्य पूरा हो जाना चाहिए था। निर्माण की धीमी गति को देखते हुए अगले एक साल में भी काम पूरा होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है।
मान्यता अनुभाग के निर्देशों के मुताबिक तीन वर्षों की पैनल रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेज दी है। लेकिन अब तक मान्यता नहीं मिली है। इस कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है। विभाग के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला है। उम्मीद है जल्दी ही समाधान निकल आएगा। कॉलेज में लिपिक नहीं हैं । स्टाफ को ही लिपिकीय काम करना पड़ रहा है। इसकी सूचना उच्चस्तर पर दी गई है।
-डा. देवराज मिश्रा, प्राचार्य