
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी हिमस्खलन हादसे के लिए परिजनों ने निम को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना था कि इतना बड़ा संस्थान निम के पास अपना एक हेलीकाप्टर तक नहीं है। यदि समय पर रेस्क्यू किया गया होता तो इतनी जानें न जातीं। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के दल के 29 सदस्य रविवार को डोकराणी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में बर्फीले तूफान में लापता हो गये थे, इनमें से 26 शव बरामद किये जा चुके हैं। मौसम खराब होने के कारण बचाव दल को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल को दी गयी जलसमाधि
एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल को उसकी बुआ शकुंतला प्यार से सुब्बी बुलाती थी। शुक्रवार को उसका शव मोर्चरी में लाया गया तो बुआ ‘ए मेरी सुब्बी ले…’ पुकारते हुए वहीं बेंच पर गिर पड़ीं। इसके बाद सविता का शव उसके गांव लौंथरू ले गये, जहां परजनों की सहमति पर उसे जल समाधि दे दी गयी। सविता निम के एडवांस माउंटेरियन कोर्स में बतौर प्रशिक्षक शामिल थीं।
हिमाचल का शिवम कैंथला इकलौता बेटा था
द्रौपदी का डांडा-2 हिमस्खलन हादसे में इकलौते बेटे शिवम कैंथला की मौत से परिवार गहरे सदमे में है। शिवम के पिता हादसे की खबर मिलते ही हिमाचल से उत्तरकाशी पहुंच गये थे। परिजनों ने बताया कि शिवम को बचपन से ही साहसिक पर्यटन का शौक था। इकलौते बेटा जब इस कोर्स के लिए जाने की अनुमति मांग रहा था तो तब भी शिवम के पिता रोने लगे थे। बाप को बेटे की सकुशल आने की चमत्कार की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अजय बिष्ट की पांच महीने पहले हुई थी शादी
अल्मोड़ा निवासी अजय बिष्ट की पांच महीने पहले शादी हुई थी। जब अजय कोर्स के लिए उत्तरकाशी जा रहा था, तो पत्नी शिल्का सिंह बहुत खुश थी। अजय के पिता जोगेंद्र सिंह बिष्ट होटल व्यवसायी हैं। अजय उनके परिवार का बड़ा बेटा था।
समय पर रेस्क्यू होता तो बच जाती जान
अस्पताल में शिनाख्त को पहुंचे मृतकों के परिजनों का कहना था कि यदि समय रहते द्रौपदी का डांडा में बचाव कार्य हो जाता तो कई जानें बच सकती थीं, लेकिन मौसम की बेरुखी ने रही सही उम्मीद भी खत्म कर दी। परिजनों ने हादसे के लिए निम प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि रेस्क्यू के लिए जम्मू कश्मीर की गुलमर्ग टीम को बुलाना चाहिए था। उनका कहना था कि निम के पास अपना एक हेलीकाप्टर तक नहीं है। यदि निम का अपना हेलीकाप्टर होता तो समय पर रेस्क्यू में मदद मिलती।