उत्तराखंडदेश-विदेशबड़ी खबरमनोरंजनयूथ कार्नरशिक्षासामाजिक

लगोंदु मांगल, त औंदी रुवे/ नि लगौंदूं मांगल, त असगुन ह्वे, संसद में बोले अनिल बलूनी

Listen to this article

देहरादून, 12 दिसम्बर। लगोंदु मांगल, त औंदी रुवे/ नि लगौंदूं मांगल, त असगुन ह्वे। यानी अगर मंगल गीत गाऊं, तो रोना आता है। और ना गाऊं तो अशुभ होता है। गढ़वाल से लोकसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने संसद में आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक-2024 पर कुछ इस अंदाज में अपने विचार रखे।

बलूनी ने कहा कि आपदा और उत्तराखंड का चोली-दामन का साथ है। सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों मौसम में अलग-अलग किस्म की आपदाओं से उत्तराखंड राज्य की जनता जूझती है। सांसद बलूनी ने गढ़वाली मुहावरे के माध्यम से कहा कि उत्तराखंड की जनता हर मौसम में आपदा से जूझती है जिसके लिए एक विशेष नीति बनाने की आवश्यकता है।

कहा, मैं देवभूमि उत्तराखंड से आता हूं। उत्तराखंड चीन, तिब्बत और नेपाल से लगा हुआ प्रांत है। मेरा राज्य नैसर्गिक रूप से बहुत सुंदर है। पहाड़ हैं, नदियां हैं, हिमालय है, ग्लेशियर हैं, झीलें हैं, विस्तृत घास के मैदान हैं। फूलों की घाटी है। किंतु, मेरा प्रांत सर्दी, गर्मी, बरसात तीनों मौसम में आपदा से भी जूझता रहता है। गर्मियों के मौसम में हमारे जंगल जल रहे होते हैं, चीड़ के ज्वलनशील पत्ते और सूखी घास पहाड़ के पहाड़ जला देती है। ये आग महत्वपूर्ण वनस्पति, जड़ी-बूटी, वन्यजीव, घोंसले, झाड़ी और बिलों में रहने वाले प्राणियों को जला डालती है।

इसके बाद बरसात में पहाड़ों में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही मच जाती है। बिजली, पानी, सड़क के अवरुद्ध होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। अनेक नागरिक हताहत हो जाते हैं। आपदा राहत भी मौके तक नहीं पहुंच पाती है। गढ़वाल सांसद ने कहा कि सर्दियों का मौसम भी कम पीड़ादायक नहीं होता है। बर्फबारी से जनजीवन रुक जाता है। सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं। पानी की लाइन जम जाती है। तीनों मौसम हमारे लिए भारी पड़ते हैं।

सैनिक की तरह गांव आबाद रखते हैं नागरिक
इतनी कठिनाई के बावजूद भी सीमा के सैनिक की तरह हमारे सीमांत प्रांत के नागरिक अपने गांवों को आबाद रखे हुए हैं। पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में आई हर आपदा में राज्य सरकार को हरसंभव सहायता प्रदान की है। इस विधेयक से आपदा प्रबंधन को और बल मिलेगा और उत्तराखंड जैसा राज्य हर संभावित आपदा को निपटने में सक्षम होगा। उन्होंने विधेयक का समर्थन किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button