अब जल्द ही लोग आनलाइन माध्यम से खरीद सकेंगे सस्ती दालें
नई दिल्ली, 22 दिसम्बर। अब जल्द ही भारत दाल योजना के तहत लोग ऑनलाइन माध्यम से सस्ती दरों पर दाल खरीद सकेंगे। उपभोक्ता मामले का मंत्रालय बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को योजना के तहत सस्ती दालों की बिक्री अपने प्लेटफार्मों पर शुरू करने का आदेश दे सकता है। इससे पहले कई ई-कॉमर्स कंपनियों ने सस्ती दरों पर दाल बेचने की योजना बनाई थी। लेकिन, अभी भी उनकी वेबसाइट पर योजना के तहत आने वाली दालें आउट ऑफ स्टॉक हैं।
महंगाई से मिलेगी राहत
माना जा रहा है कि ऑनलाइन माध्यम से रियायती दरों पर दालों की बिक्री उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत दे सकती है। योजना के अंतर्गत सरकार सस्ती दरों पर दालों को उपलब्ध कराएगी, जिससे बड़े से लेकर छोटे शहरों के लोग भी योजना का लाभ उठा सकेंगे। हालांकि, कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों ने योजना के तहत दालों की बिक्री शुरू कर दी है। लेकिन, अधिकारियों का कहना है कि सभी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स को दालों की बिक्री शुरू करनी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को इस योजना का पूरा फायदा हो सके।
भारत में दालों की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति में असंतुलन है। जबकि भारत में दलहन का उत्पादन वित्तीय वर्ष 2024 में बढ़कर 24.5 मिलियन टन (MT) हो गया है, लेकिन यह देश की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए काफी नहीं हैं। भारत की दालों की खपत लगभग 27 मिलियन टन सालाना है। प्रमुख उत्पादकों देशों में से एक होने के बाद भी दालों की कीमतों में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं प्रभावित हुए हैं।
क्या है केद्र सरकार की ‘भारत दाल योजना’
केंद्र सरकार ने जुलाई 2023 में इस योजना को लॉन्च किया था। इस दौरान देश में चना दाल के उत्पादन में कमी के कारण लगभग सभी दालों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। इस योजना का उद्देश्य दालों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना था, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत मिल सके। योजना का दूसरा चरण अक्रतूबर 2024 से शुरू हो चुका है। वर्तमान में कई प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइट पर भारत दाल आउट ऑफ स्टॉक दिखाया जा रहा हैं। इस पर मंत्रालय का कहना है कि यह स्थिति जल्दी सुधारनी चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोग इस योजना का फायदा उठा सकें। सरकार का मानना है कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स का उपयोग उपभोक्ताओं तक सस्ते दालों की पहुंच बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
महंगाई का असर
भारत में दालों की महंगाई, विशेष रूप से मूंग, मसूर और चने की दालों की, खाद्य मुद्रास्फीति पर असर डाल रही है। अक्टूबर में दालों की कीमतों में वृद्धि धीमी हुई, लेकिन मांग अब भी आपूर्ति से अधिक है। इसके अलावा, वैश्विक खाद्य तेलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में और भी इजाफा हो रहा है।