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जोशीमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की भव्य शोभायात्रा का महाकुम्भ में प्रवेश

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प्रयागराज, 9 जनवरी। संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है. महाकुंभ में सन्यासियों और बैरागी अखाड़ों की छावनी प्रवेश यात्रा पेशवाई निकल चुकी है. यात्रा के जरिए उन्होंने मेले में बनी छावनी में प्रवेश कर लिया है.
इस कड़ी में गुरुवार को शुभ मुहूर्त में ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज पेशवाई के जरिए मेला क्षेत्र में प्रवेश कर गए. शहर के विभिन्न इलाकों से होते हुए यह यात्रा मेला क्षेत्र में प्रवेश कर गई. यात्रा की अगुवाई में डमरू बजाते हुए शिवभक्तों के साथ ही अलग-अलग अखाड़ों के साधु संत सन्यासी और महामंडलेश्वर भी शामिल हुए.
इस मौके पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि सदियों से महाकुंभ में प्रवेश करने की परंपरा चली आ रही है. उसी के तहत गुरुवार को छावनी प्रवेश यात्रा के जरिये मेला क्षेत्र में प्रवेश किया गया. उन्होंने कहा कि महाकुंभ सनातन धर्म की एकता और समरसता का संदेश देने वाला महापर्व है. जहां से आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है.
उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में हम लोग प्रवेश कर रहे हैं और इस क्षेत्र में रहकर माघ महीने में आराधना और उपासना करेंगे. इसके साथ ही वे महाकुंभ के दौरान देश में गो हत्या बंद करने की मांग उठाएंगे और गो हत्या करने वालों को कड़ी सजा देने की मांग करेंगे, जिससे इस पर पूरी तरह से रोक लग सके. इसके साथ ही गो माता को राष्ट्रमाता घोषित करने के लिए माह भर तक संसद का आयोजन भी किया जाएगा.
ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की छावनी प्रवेश शोभायात्रा पथरचट्टी रामलीला मैदान से शुरू होकर धूमधाम के साथ शहर की सड़कों पर निकली. यात्रा में डमरू बजाते हुए ब्राह्मणों की टोली आगे आगे चल रही थी, जिसके बाद बैंडबाजे और शंखनाद करने वालों की टोली थी. इसके साथ ही शंकराचार्य के छावनी प्रवेश यात्रा में अलग-अलग अखाड़ों के साधु संत महामंडलेश्वर भी शामिल रहे. http://देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
यात्रा में शामिल अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर और अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री महंत सोमेश्वरानंद सरस्वती संतों के साथ आग आगे चल रहे थे. उनका कहना है कि अखाड़े के नागा साधु सन्यासी सब शंकराचार्य की सेना कहे जाते हैं. यही कारण है कि छावनी प्रवेश यात्रा पेशवाई में वो भी आगे-आगे चल रहे हैं. जबकि, तमाम साधु संत महामंडलेश्वर यात्रा में रथों पर सवार होकर भी शामिल हुए.
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की शोभायात्रा के दौरान उनका दर्शन पाने के लिए लोगों की भीड़ सड़कों के दोनों किनारे पर उमड़ी. उन पर पुष्पवर्षा कर स्वागत कर लोगों ने उनसे आशीष लिया. इसके साथ ही रास्ते में कुल 108 स्थानों पर शंकराचार्य पर पुष्पवर्षा कर स्वागत करने की व्यवस्था की गई थी. शंकराचार्य की शोभायात्रा में कश्मीर से लेकर पंजाब राजस्थान हरियाणा समेत देश के अलग-अलग राज्यों के भक्त शामिल थे.

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