कुदरत के कहर से मलबे में दबे परिजनों को ढूंढते ग्रामीण, सात लोग दबे, दो शव बरामद

नई टिहरी। कुदरत के कहर से मलबे में दबे सात लोगों को ढूंढने का काम लगातार ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है। बादल फटने से पहाड़ी से आया मलबे की चपेट में एक परिवार आ गया था, जिसके सात लोग मलबे में दब गये थे, जिनमें से दो शव बरामद कर लिये गये हैं, पांच लोगों की अभी भी तलाश जारी है।
शनिवार तड़के जौनपुर ब्लाक के ग्वाड़ गांव के ऊपर बादल फटने के बाद दो मकान जमींदोज हो गये, जिसमें एक ही परिवार के सात लोग मलबे में दबे हैं। घटना के बाद से गांव में कोहराम मचा हुआ है। ग्वाड़ गांव देहरादून से मात्र 35 किमी दूर है, मगर एसडीआरएफ और पुलिस की टीम शनिवार शाम को घटनास्थल पर पहुंच पायी।
सड़क और पैदल रास्ते क्षतिग्रस्त
ग्राम प्रधान अरविंद सिंह का कहना है कि गांव में रात को ही घटना घट गयी थी, लेकिन एसडीआरएफ की टीम शाम को पहुंच पायी। दो शव ग्रामीणों दोपहर 12 बजे तक बरामद कर लिए थे। सुबह पटवारी और कानूनगो जरूर मुआयना करने आए थे। गांव ने आपदा नियंत्रण को कक्ष को हेलीकाप्टर भेजने की मांग की थी।
दो मकानों का नामोनिशान तक नहीं
शनिवार तड़के से हो रही बारिश से ग्राम पंचायत धौलागिरी के ग्वाड़ गांव में रात को सबकुछ ठीकठाक था। सुबह का मंजर देख ग्रामीणों हैरान रह गये। राजेंद्र और कमांद गांव में खेती-बाड़ी करते थे। दोपहर करीब 12 बजे मलबे में दबे राजेंद्र सिंह (35) और उनकी पत्नी सुनीता देवी (31) के शव निकाले गये। राजेंद्र सिंह दो बच्चे बेटी अंशिका (11) और बेटा सिद्धार्थ (9) देहरादून रायपुर में मौसी के साथ रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। दूसरे मकान में रहने वाले राजेंद्र सिंह के चचेरे भाई कमांद सिंह (40), उनकी पत्नी रुक्मणी देवी (35), बेटी बीना (17), पुत्र सचिन (15) और मां मगन देवी (60) का काफी प्रयास के बाद भी अभी तक पता नहीं चल पाया। गांव सड़क के मात्र चार किमी दूर है, लेकिन सड़कें क्षतिग्रस्त होने के कारण गांव पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
एसडीएम लक्ष्मीराज चौहान ने बताया कि कानूनगो विजय पटवाल, राजस्व उपनिरीक्षक यशपाल नेगी सूचना मिलने पर सुबह ग्वाड़ गांव पहुंच गये थे। लापता चल रहे बाकी लोगों की तलाशी के लिए रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है।