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रामनगरी अयोध्या में परिवार संग विराजे राजा राम, अभिजीत मुहूर्त में हुई प्राण प्रतिष्ठा

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अयोध्या, 5 जून। गंगा दशहरा के अवसर पर भगवान श्री रामनगरी अयोध्या की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक गरिमा के स्वर्णिम अध्याय में एक और पन्ना जुड़ गया. वीरवार को एक बार फिर अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुआ। राजा राम का दरबार मंदिर के पहले तल पर बना है.

रामदरबार और गर्भगृह के चारों कोनों में बने परकोटे के अन्य मंदिरों में भी सात विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हो गई. अयोध्या और काशी से आए 101 वैदिक आचार्यों ने इस प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को पूरा कराया। आचार्यों के वैदिक मंत्रोच्चार से मंदिर परिसर वैदिक ऊर्जा से गूंज उठा। इसके बाद श्रीराम स्वयं रामदरबार में विराजे।

अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा
रामनगरी में यह प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त में हुई. अभिजीत मुहूर्त दिन का सबसे शुभ और पवित्र समय माना जाता है. राम दरबार और सात अन्य विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा वीरवार को 11 बजकर 25 मिनट से 11बजकर 40 मिनट तक की गई. सिद्ध योग भी बन रहा है. पूजन, भोग, आरती के बाद अनुष्ठान समाप्त हुआ। प्राण प्रतिष्ठा के बाद सीता राम समेत चारों भाइयों और बजरंगबली को आभूषण पहनाए गए.

प्राण प्रतिष्ठा में पहुंचें सीएम योगी


प्राण प्रतिष्ठा के इस आयोजन में शामिल होने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ समेत पांच सौ से अधिक मेहमान पहुंचे. इस कार्यक्रम में सीएम योगी बतौर मख्य अतिथि शामिल हुए. संघ, विहिप और बीजेपी से जुड़े पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी प्राण प्रतिष्ठा में आने का न्योता दिया गया था. सीएम सुबह श्रीरामकथा पार्क स्थित हेलीपैड पर उतरे और फिर वो हनुमानगढ़ी गए. हनुमानगढ़ी में सीएम योगी ने दर्शन-पूजन किया।

सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम
रामनगरी में अयोध्या जिला प्रशासन, राम मंदिर ट्रस्ट और अन्य एजेंसियों की ओर से सभी तैयारियां की गयी थी. कार्यक्रम स्थल और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद थी. बता दें कि इससे पहले बुधवार को भारत की 21 पवित्र नदियों के जल से सभी देव विग्रहों का अभिषेक हुआ. उनको परिसर भ्रमण कराया गया. राम दरबार समेत सभी देव विग्रहों का अभिषेक हुआ.

जयपुर में निर्मित मूर्तियों में हर भाव जीवंत
मकराना के सफेद संगमरमर से जयपुर में निर्मित रामदरबार में भगवान राम, मां सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ हनुमानजी की मूर्तियां हैं। भगवान राम और सीता मां सिंहासन पर विराजमान हैं तो भरत और हनुमान उनके चरणों के पास बैठे हैं। यह स्वरूप भक्तों के लिए केवल दर्शन नहीं, आदर्शों का जीवंत पाठ है। राम दरबार की मूर्तियों में हर भाव जीवंत है। श्रीराम की मुखमुद्रा में मर्यादा और करुणा, सीता में शांति, लक्ष्मण में समर्पण और हनुमान में भक्ति और बल का संयोजन दर्शनीय है।

यह मूर्तियां जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण ने निर्मित की हैं। मूर्तियों को सोने के छत्र, रेशम से बने वस्त्रों तथा आभूषणों से सजाया गया है। सिंहासन समेत राम दरबार की मूर्ति की ऊंचाई साढ़े सात फीट है। सिंहासन तीन फीट ऊंचा है, जबकि सीताराम का विग्रह साढ़े चार फीट ऊंचा है। वहीं हनुमान व भरत की मूर्ति बैठी मुद्रा में है, जिनकी ऊंचाई ढाई फीट है। लक्ष्मण व शत्रुघ्न की मूर्ति खड़ी मुद्रा में है, इसकी ऊंचाई तीन-तीन फीट है।देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/

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