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देश के प्रथम गांव माणा में 12 साल बाद लगा पुष्कर कुंभ, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

बदरीनाथ (चमोली), 15 मई। देश के प्रथम गांव माणा में स्थित केशव प्रयाग में 12 वर्ष बाद आयोजित हुए पुष्कर कुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। बृहस्पतिवार को दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने पितरों का पिंडदान कर उनके मोक्ष की कामना की।
12 साल बाद किया जा रहा पुष्कर कुंभ का आयोजन

बता दें कि चमोली जिले के सीमांत गांव माणा में 12 सालों के बाद पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जा रहा है. धार्मिक परंपरा के अनुसार जब 12 सालों में बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है तो माणा गांव स्थित अलकनंदा और सरस्वती नदियों संगम पर स्थित केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन में मुख्य रूप से दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलंबी प्रतिभाग करते हैं.
क्या है पुष्कर कुंभ का धार्मिक महत्व?

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रथम गांव माणा के पास स्थित केशव प्रयाग में महर्षि वेदव्यास ने तपस्या करते हुए हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथ महाभारत की रचना की थी. ये भी कहा जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी स्थान पर मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था. जिसके चलते अपनी पौराणिक परंपराओं के संरक्षण के लिए दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलंबी पुष्कर कुंभ के समय बदरीनाथ धाम के पास स्थित माणा गांव पहुंच कर केशव प्रयाग में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं.
दक्षिण भारत से सर्वाधिक लोग पहुंचते हैं मेले में
पुष्कर कुंभ में शामिल होने के लिए दक्षिण भारत के श्रद्धालु अधिक संख्या में पहुंचते हैं। सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालु केशव प्रयाग में स्नान के लिए जुटने लगे थे। श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद सरस्वती मंदिर के दर्शन भी किए। दिनभर भीम पुल से केशव प्रयाग तक जाने वाला पैदल रास्ता श्रद्धालुओं से भरा रहा।
उड़ीसा से पुष्कर कुंभ में स्नान के लिए पहुंचे कामेश्वर राव का कहना है कि वे पहली बार पुष्कर कुंभ में शामिल हुए। 12 साल बाद यह संयोग बना है। केशव प्रयाग में स्नान करने के बाद पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान किया। उन्होंने बताया कि देशभर की 12 नदियों में कुंभ का आयोजन किया जाता है।देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
दक्षिण भारत के आचार्यगणों ने कराया पिंडदान
श्रद्धालुओं के साथ दक्षिण भारत के आचार्यगण भी पहुंचे हुए थे। जिन्होंने श्रद्धालुओं की ओर से पूजा-अर्चना संपन्न की। यहां करीब 25 ब्राह्मण पहुंचे हुए हैं। जो श्रद्धालुओं के पितरों के तर्पण के साथ ही पिंडदान करा रहे हैं। केशव प्रयाग में स्नान के लिए श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिला। अधिकांश श्रद्धालु अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे हुए हैं।
चमोली जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि देश के प्रथम गांव माणा के केशव प्रयाग में आयोजित पुष्कर कुंभ को लेकर पैदल मार्ग का सुधारीकरण किया गया है. यहां पैदल मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं