शिक्षा मंत्री की चेतावनी, स्कूलों में RTE का उल्लंघन हुआ तो नपेंगे CEO और BEO

देहरादून, 28 मई। शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन) RTE अधिनियम के तहत बच्चों को विद्यालयों में दाखिला दिए जाने पर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. यही नहीं, राइट टू एजुकेशन का उल्लंघन होने पर मुख्य शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने आज शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत इसके अनुपालन पर चर्चा करते हुए अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली. इसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम का कड़ाई के साथ पालन करवाने के निर्देश जारी हुए.
धन सिंह रावत ने अधिकारियों की समीक्षा बैठक
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश पर हीलाहवाली अब न केवल विद्यालयों के लिए परेशानी बन सकती है.बल्कि शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी भी दिक्कत में आ सकते हैं. आईटीई के अनुपालन के लिए शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली. इस दौरान एक तरफ निजी विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन कराए जाने को लेकर अब तक की स्थिति पर चर्चा की गई. साथ ही भविष्य के लिए भी अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गई.
मानकों का पालन न करने वाले संस्थानों के खिलाफ होगी कार्रवाई
तमाम जिलों में मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निजी विद्यालयों से RTE के तहत होने वाले प्रवेश की विस्तृत रिपोर्ट शिक्षा महानिदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए. इसके अलावा सरकारी स्कूलों के साथ ही निजी स्कूलों का भी निरीक्षण करने के लिए कहा गया है. खास बात यह है कि यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन भी विद्यालयों में मानकों का पालन नहीं किया जाएगा. ऐसे शिक्षण संस्थानों के खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी.
राज्य के अधिकारियों को यह भी स्पष्ट किया गया कि RTE के तहत विद्यालयों में दाखिला नहीं होने पर अफसरों पर भी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए जिला स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है.
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों को विद्यालयों का औचक निरीक्षण करने के लिए भी कहा गया है. यह भी साफ किया गया है कि विभिन्न विद्यालयों में शैक्षणिक स्टाफ की स्थिति और मूलभूत सुविधाओं के साथ ही संसाधनों को भी देखा जाए. ताकि मानकों पर खड़ा ना उतरने वाले विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. बाल अधिकार संरक्षण आयोग में भी ऐसे विद्यालयों की शिकायतें प्राप्त होती रहती है. इसलिए आयोग द्वारा दी गई सिफारिश पर भी काम किए जाने के लिए कहा गया है.