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‘संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाइए, यही भाषाओं की जननी’: RSS प्रमुख मोहन भागवत

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नागपुर, 1 अगस्त। महाराष्ट्र के नागपुर के कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय में अभिनव भारती अंतरराष्ट्रीय अकादमिक भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने शिरकत की. उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की सभी भाषाओं की जननी है और यह हर घर तक पहुंचनी चाहिए. संस्कृत को केवल पढ़ने की नहीं, बल्कि रोजाना जीवन में इस्तेमाल की भाषा बनाने पर जोर दिया.

संस्कृत हमारी भावनाओं को विकसित करती है
मोहन भागवत ने कहा कि संस्कृत हमारा भावनाओं को विकसित करती है. इसलिए हर व्यक्ति को संस्कृत भाषा आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि संस्कृत को समझना और बोल पाने में फर्क होता है. ‘भारत का अनुवाद हुआ तो ये अपनी पहचान खो देगा’, भागवत ने चेताया उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ये भाषा सिखी है, लेकिन धाराप्रवाह नहीं बोल पाते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि संस्कृत को रोजाना बातचीत की भाषा बनाना जरूरी है.

सरकारी सहयोग से अधिक जरूरी जनसमर्थन
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि विश्वविद्यालय को सरकारी संरक्षण तो मिलेगा ही, लेकिन जनसमर्थन भी उतना ही आवश्यक है. अगर हमें संस्कृत को आगे बढ़ाना है, तो इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा.

‘स्वत्व’ ही भारत की ताकत है
उन्होंने कहा कि भारत की असल ताक़त उसकी स्वत्व (ओनरशिप) है, यानी आत्मनिर्भरता से उपजा आत्मबोध. स्वत्व कोई भौतिक चीज नहीं है, बल्कि एक वैचारिक भाव है, जिसे भाषा के ज़रिए व्यक्त किया जाता है.

संस्कृत से जुड़ना, देश को समझना
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संस्कृत को जानना, देश को समझने के समान है. हमारे लिए वैश्विक बाजार नहीं, बल्कि वैश्विक परिवार महत्वपूर्ण है — यही ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना है.

‘वसुधैव कुटुंबकम्’ बनाम पश्चिम का वैश्विक बाज़ार
उन्होंने कहा कि पश्चिम देश ‘ग्लोबल मार्केट’ की बात करते हैं, भारत ‘ग्लोबल फैमिली’ की बात करता है. जब भारत ने 2023 में G20 की अध्यक्षता की, तब इसकी थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ ही थी.

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