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आर्मी कैंप, हेलीपैड, सड़क… सब जलमग्न, धराली में अब 50 फीट मलबे में सांसों की तलाश

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उत्तरकाशी, 9 अगस्त। उत्तरकाशी के धराली गांव में आई आपदा के बाद हालात अब भी गंभीर हैं. धराली तक जाने वाले सभी रास्ते टूट और बह चुके हैं. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं. अब तक 931 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, और यह संख्या लगभग 1000 तक पहुंच रही है. हालांकि, धराली और हर्षिल इलाके में अभी भी करीब 250 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने का काम जारी है.

सड़क मार्ग पूरी तरह बाधित
धराली तक मशीनें नहीं पहुंच पाई हैं क्योंकि कई जगह सड़कें पूरी तरह बह चुकी हैं. कुछ स्थानों पर 4–5 किलोमीटर का रास्ता पूरी तरह गायब है. इन्हें जोड़ने में कई दिन लग सकते हैं. फिलहाल, वायुसेना की मदद से हवाई रास्ते से जरूरी सामान और मशीनें लाई जा रही हैं.

सरकारी मदद और निर्णय
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. पूरी तरह क्षतिग्रस्त मकानों के मालिकों को भी 5 लाख रुपये की मदद मिलेगी. इसके अलावा, प्रभावित गांवों के पुनर्वास और आजीविका सुधार के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी.

हर्षित का बुरा हाल
हर्षिल अब ‘घोस्ट टाउन’ जैसा दिख रहा है. होटल, गेस्ट हाउस और घर खाली हो चुके हैं. बिजली और संचार व्यवस्था हाल ही में बहाल हुई है. स्थानीय किसान चिंतित हैं, क्योंकि उनके सेब के बागान तैयार हैं, लेकिन रास्ते बंद होने से फसल बाजार तक नहीं पहुंच पा रही है. हर्षिल इस समय बड़ा बेस कैंप बना हुआ है. जितने भी हिल ऑपरेशन्स चल रहे हैं, उनका संचालन यहीं से किया जा रहा है. गंगोत्री से बड़ी संख्या में मज़दूरों का आना जारी है. सुबह करीब 300 से ज्यादा लोगों को यहां से निकाल कर मताली, फिर उत्तरकाशी और उसके बाद जौलीग्रांट भेजा गया है.

पर्यटकों को निकालना लगभग पूरा हो चुका है. अब मुख्य रूप से वे मजदूर और श्रमिक निकाले जा रहे हैं जो उत्तरकाशी और हर्षिल में कार्यरत थे. धराली और गंगोत्री में फंसे लोग भी धीरे-धीरे यहां पहुंच रहे हैं और उनका इवैक्यूएशन जारी है. सड़क मार्ग की स्थिति बेहद खराब है. कई जगहों पर सड़कें पूरी तरह से गायब हो चुकी हैं. पांच-पांच किलोमीटर लंबे स्ट्रेच में घाटी पार करना बेहद मुश्किल है. कई जगहों पर सैलाब ने सड़क का नामोनिशान मिटा दिया है. इन मार्गों को जोड़ने में 4–5 दिन से ज्यादा का समय लग सकता है.

यही कारण है कि यहां एक एयर पैसेज तैयार किया गया है. वायुसेना के जरिए जरूरी सामान, जेनरेटर और मशीनें (जैसे JCB) यहां पहुंचाई जा रही हैं. इलाके की दुर्गमता और तबाही को देखते हुए यही फिलहाल राहत और बचाव का सबसे कारगर साधन है. उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त को मची तबाही का खौफ अभी खत्म नहीं हुआ है कि अब इस आपदा के असर से हर्षिल में झील वाला खतरा पैदा हो गया है. हर्षिल घाटी में बनी अस्थायी झील ख़ौफ़ पैदा कर रही है. हर्षिल का हेलीपैड तो विशाल झील बन गया है. हेलीपैड तो कहीं दिखाई तक नहीं दे रहा है. हर ओर सिर्फ झील का पानी नजर आ रहा है.

धराली में बचाव कार्य
धराली के पास भागीरथी नदी पर मलबा जमा होने से एक तरह का अस्थायी बांध बन गया है. यहां बड़े-बड़े जेसीबी और एक्सकेवेटर रास्ता बनाने और मलबा हटाने में लगे हैं. सेना के कैंप बह जाने और जवानों के लापता होने की घटनाओं के बाद, उनकी तलाश के लिए डॉग स्क्वॉड और स्कैनर मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

पानी जमा होने से बना रहा जलाशय
राहत और बचाव के बीच अभी संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. जिस रास्ते से आए मलबे ने इलाके को तबाह कर दिया. वहां अलकनंदा नदी का पानी जमा होने से जलाशय बन रहा है. जो इस संकट के बीच खतरे का संकेत दे रहा है. पूरा इलाका दलदल बन चुका है जहां चलना तक मुश्किल हो रहा है. रेस्क्यू टीम के सामने दो चुनौतियां हैं पहली यहां के हालात सामान्य किए जाएं जो कि पूरी तरह से तबाह हो चुका है तो वहीं दूसरी ओर चुनौती जिंदगियों को बचाने की भी जारी है. हर्षिल में सेना के कैंप को भी भारी नुकसान हुआ है. जहां लगातार हालातों को सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं.

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