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किश्तवाड़ में बादल फटने से हर तरफ चीख-पुकार, अब तक 46 शव मिले; 200 से ज्यादा लापता

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किश्तवाड़/उधमपुर, 13 अगस्त। उत्तराखंड के धराली, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और मनाली के बाद अब जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चोसिटी गांव में बादल फटने से तबाही गई है. इस आपदा में अब तक 46 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. 160 लोग घायल हुए तो 220 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं. मरने वालों में दो सीआईएसएफ जवान भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अमित शाह को स्थिति की जानकारी दी है. राहतकर्मी घंटों से मशक्कत कर हर एक जान को बचाने की कोशिश में जुटे हैं जो मलबे के नीचे फंसे हैं या संकट में हो. राहत बचाव कार्य जारी है. लेकिन, बारिश और कीचड़ इसमें बाधा बन रही है.

मानसून की वर्षा इस बार किश्तवाड़ जिला में स्थित मां चंडी के घर के रास्ते में स्थित चशोती पर कहर बनकर टूटी हैं। मचैल चंडी माता मंदिर जाने वाले मार्ग पर भवन से आठ किलोमीटर की दूरी पर बसे चशोती गांव में गुरुवार दोपहर बादल फटने से ऐसा भयावह मंजर बना कि चारों ओर चीख-पुकार और बर्बादी का आलम फैल गया। देखते ही देखते शांत पहाड़ मौत के सैलाब में बदल गए, जिसने घर, वाहन, लंगर और लोगों को बहा ले जाकर तबाही की एक दिल दहला देने वाली तस्वीर पेश कर दी। जानकारी के अनुसार दोपहर लगभग 12.30 बजे लगातार हो रही बारिश के बीच चशोती के ऊपरी पहाड़ों पर अचानक बादल फट गया।

कई घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त


इससे चशोती नाले में भयंकर बाढ़ अपने साथ मिट्टी और मलबा लेकर आ गई। जिसने पूरे गांव को दहशत में डाल दिया। आधा चशोती गांव इस तबाही की चपेट में आ गया। पानी के तेज बहाव में कई वाहन बह गए और बड़ी संख्या में लोग लापता हो गए। 12 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए और कईयों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा। इसी दौरान मचैल माता के श्रद्धालुओं के लिए चशोती में लगाया गया एक लंगर भी पूरी तरह बर्बाद हो गया। बताया जा है कि यह लंगर उधमपुर के सैला तालाब क्षेत्र के लोगों द्वारा संचालित किया जा रहा था।

राहत और बचाव कार्य जारी


हादसे के बाद हालात इतने विकट हो गए कि अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि, सैलाब आने से चशोती में तबाही मचने के बाद मचैल यात्रियों को मोटरसाइकिल पर ले जाने वाले स्थानीय चालक राहत और बचाव कार्य में सबसे पहले कूद पड़े। हादसे के वक्त वह चशोती पुल से करीब 200 मीटर दूर अपने स्टाप पर मौजूद थे। उन्होंने चालकों ने बिना समय गंवाए घायलों को पांच किलोमीटर दूर हमोरी लंगर तक पहुंचाया।

यहां लंगर संचालकों और यात्रियों में शामिल स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी वालंटियर के तौर पर खुद आगे आए और घायलों को प्राथमिक उपचार देना शुरू किया। हमोरी लंगर में 25 घायलों को लाया गया, लेकिन इनमें से एक ने पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। वहीं, चशोती की ही एक महिला की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। हादसे के करीब ढाई घंटे बाद दो डॉक्टरों और पैरामेडिकल टीम ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया, लेकिन उनके पास न तो पर्याप्त दवाएं थीं और न ही उपचार के जरूरी उपकरण। मृतकों का आंकड़ा 46 है और भी अधिक होने की आशंका है, क्योंकि हादसे के समय बारिश जारी थी और लंगर में दोपहर के भोजन का समय था। उस वक्त लंगर में सेवादार, खाना बनाने वाले कारीगर और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। वहीं, 120 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।

200 से अधिक लोग अभी भी लापता
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि अगर यह अनुमान सही साबित हुआ तो यह त्रासदी और भी भयावह हो सकती है। अपुष्ट जानकारी के अनुसार, 200 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनका कोई सुराग नहीं है। लंगर और उसमें मौजूद लोगों का समाचार लिखे जाने तक कोई अता-पता नहीं था। मचैल यात्रा मार्ग पर चशोती वाहन से पहुंचने का अंतिम पड़ाव है। इसके आगे आठ किलोमीटर की पैदल यात्रा या मोटरसाइकिल से सफर किया जाता है। हादसे वाली जगह ही वाहन स्टॉप और सुरक्षा जांच चौकी थी, जहां सेना, सीआईएसएफ और एसडीआरएफ के जवान तैनात थे। लेकिन सैलाब के बाद से इनके बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।

जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन
सेना भी बचाव और राहत कार्यों में जुटी हुई है. सेना की व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘किश्तवाड़ के चशोटी गांव में मानवीय और आपदा राहत अभियान जारी है, जहां व्हाइट नाइट कॉर्प्स के समर्पित सैनिक विपरीत हालात और दुर्गम इलाकों का सामना करते हुए घायलों को निकालने में लगे हुए हैं. सर्च लाइट, रस्सियां और खुदाई के औज़ारों के रूप में राहत सामग्री आगे बढ़ाई जा रही है.’

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