
कोटद्वार, 23 अगस्त। सब कुछ सामान्य दिनों की तरह ही चल रहा था। रमेश व सुनीता अन्य दिनों की तरह सड़क चौड़ीकरण का कार्य करने के बाद शाम करीब सवा छह बजे डेरे पर लौटे थे। डेरे पर खाना बना हुआ था तो रात्रि करीब साढ़े सात बजे मां सुनीता ने अपने दोनों बच्चों को भोजन कराने के बाद खुद भी खाना खा लिया।
दो माह पहले ही नेपाल से मजदूरी करने आए थे सतपुली
खाना खाने के बाद सुनीता व उसका बड़ा बेटा हिमल डेरे के भीतर चले गए, जबकि तीन सात का मासूम विवेक डेरे के बाहर ही खड़ा था। विवेक को सुलाने के लिए जैसे ही सुनीता उसे लेने डेरे से बाहर आई, मां के सामने ही गुलदार विवेक को उठा ले गया। करीब दो माह पूर्व नेपाल के ग्राम लकांद, थाना कोसेड़ी, जिला देलख निवासी रमेश पुत्र बम बहादुर करीब बीस लोगों के जत्थे के साथ सतपुली मल्ली आए। उनके साथ उनकी अपनी पत्नी सुनीता और दो पुत्रों हिमल व विवेक भी थे। जत्थे ने सतपुली मल्ली के समीप उस स्थान पर डेरा जमाया, जहां पहाड़ कटाने के दौरान निकल रही मिट्टी को डंप किया जा रहा है।
रमेश व सुनीता अन्य साथियों के साथ प्रतिदिन सुबह काम पर चले जाते व डेरे में मौजूद पांच बच्चों के साथ ही भोजन बनाने की जिम्मेदारी अमिता पर रहती है। अन्य दिनों की भांति शाम करीब सवा छह बजे दंपति डेरे पर वापस आया। रमेश अन्य श्रमिकों के साथ बातें करने लगे, जबकि सुनीता अपने दोनों बेटों के साथ खेलने लगी। कुछ देर बाद सुनीता ने दोनों बच्चों को खाना खिलाने के साथ ही स्वयं भी खाना खाया। रात्रि करीब आठ बजे सुनीता बच्चों को सुलाने के लिए डेरे के भीतर बिस्तर बिछाने लगी।
बिस्तर बिछाने के बाद जैसे ही वह डेरे के बाहर खड़े विवेक को लेने आई, तभी गुलदार ने विवेक पर झपट्टा मार दिया व उसे मुंह में दबोच झाड़ियों की ओर भागा। सुनीता भी चिल्लाते हुए कुछ दूर उसके पीछे भागी। लेकिन, तब तक गुलदार उसकी आंखों से ओझल हो चुका था। इधर, सुनीता का शोर सुन अन्य लोग भी उस दिशा में भागे। लेकिन, गुलदार का कहीं कोई पता नहीं चला।