44 सालों से बहनों के लिए सशक्तीकरण केंद्र का संचालन कर रही है गढ़वाल राइफल्स

लैंसडौन, 25 अगस्त। पौड़ी जिले में लैंसडौन स्थित गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट का मुख्यालय सेना के ट्रेनिंग सेंटर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह सैनिक आश्रित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का अनुकरणीय कार्य भी कर रहा है।
इसके लिए राइफल्स की ओर से महिलाओं के लिए बीते 44 वर्षों से भुल्ली (बहन) सशक्तीकरण केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लजीज व्यंजनों बनाने समेत 22 कोर्स निश्शुल्क करवाए जाते हैं। हालांकि, शुरुआत में महिलाओं ने इन कोर्स में रुचि नहीं दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे जागरूकता के साथ महिलाओं की संख्या भी बढ़ने लगी। अभी तक केंद्र से 3,163 महिलाएं प्रशिक्षण ले चुकी हैं, जिनमें से 75 ने अपने गांव लौटकर स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाए और अब अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं।
कंप्यूटर शिक्षा के लिए लैब भी शुरू
राष्ट्र रक्षा की खातिर सीमा पर तैनात सैनिकों के परिवार कल्याण एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए सेना की ओर से दो फरवरी 1981 को लैंसडौन में महिला प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया था। तब केंद्र में चुनिंदा कोर्स में ही प्रशिक्षण दिया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यहां आधुनिक कोर्स के साथ महिलाओं को आर्थिकी से जोड़ने वाले कोर्स भी शुरू कर दिए गए।
चार मई 2025 को केंद्र में वीर नारियों और उनके आश्रितों को कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करने के लिए लैब भी शुरू हुई। वर्तमान में यहां 17-सदस्यीय स्टाफ तैनात है, जिसमें सेवारत और पूर्व सैनिकों के स्वजन शामिल हैं। केंद्र का संचालन गढ़वाल रेजिमेंट केंद्र की ओर से दिए जाने वाले आर्थिक अनुदान से होता है।
सितंबर 2024 में मिला नया नाम
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर लैंसडौन के कमांडेंट ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी बताते हैं कि स्थानीय भाषा-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए छह सितंबर 2024 को केंद्र का नाम बदलकर भुल्ली (बहन) सशक्तीकरण केंद्र कर दिया गया। साथ ही प्रशिक्षण पाने वाली महिलाओं के तीन वर्ष तक के बच्चों की देखभाल को केंद्र में ‘नन्हीं कली’ इकाई की स्थापित की गई है। ताकि प्रशिक्षण के दौरान बच्चों की देखभाल आसानी से हो सके। देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
गढ़वाली नमक का स्वाद नहीं भूल रहे पर्यटक
भुल्ली सशक्तीकरण केंद्र में बनाए जाने वाले गढ़वाली नमक को पर्यटक विशेष रूप से पसंद करते हैं। केंद्र में सेवारत सैनिकों समेत आश्रित महिलाओं को न सिर्फ नमक बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि सर्वश्रेष्ठ नमक बनाने के लिए प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। मकसद पहाड़ की संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही गढ़वाली नमक बनाने की विधि को सिखाना एवं इसके स्वाद को और रुचिकर बनाना है। गढ़वाली नमक की बढ़ती मांग को देखते हुए बीते दिनों में इसकी पैकिंग आकर्षक बनाने के साथ ही इसे हाउस आफ हिमालय आउटलेट की व्यावसायिक चेन से भी जोड़ दिया गया है।
केंद्र में प्रशिक्षण ले चुकी महिलाएं
बुनाई (593), सिलाई (1025), हिंदी टाइपिंग (269), अंग्रेजी टाइपिंग (170), कालीन बुनाई (52), मोजे बुनाई (38), शाल बुनाई (96), बाक्स निर्माण और वेल्डिंग (13), मोमबत्ती और साबुन निर्माण (52), बेकरी (36), प्रौढ़ शिक्षा (254), सिलाई (93), तकिया निर्माण (18), साड़ी डिजाइनिंग (19), खिलौने निर्माण (15), ब्लाक प्रिंटिंग (62), ड्राइविंग कक्षाएं (113), कंप्यूटर कोर्स (15), ब्यूटीशियन (122), कागज के थैले निर्माण (38), जूस और अचार बनाना (62), गढ़वाली नमक बनाना (08)