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भारतीय टीम के पूर्व स्पिनर अमित मिश्रा ने खेल के सभी प्रारूपों से लिया संन्यास

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स्पोर्ट्स डेस्क, 4 सितम्बर। भारतीय टीम के पूर्व स्पिनर अमित मिश्रा ने इस बात पर निराशा जताई है कि वह नियमित रूप से टीम में जगह नहीं बना पा रहे थे। अमित ने गुरुवार को 42 साल की उम्र में क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कहा। 42 वर्षीय हरियाणा के इस गेंदबाज ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत साल 2003 में की थी और 2017 तक भारत का प्रतिनिधित्व किया।

तीसरे विकल्प के रूप में अमित का कम हुआ इस्तेमाल 
लंबे समय से राष्ट्रीय टीम का हिस्सा रहे अमित ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान दो अलग दौर का सामना किया। पहला दौर महान स्पिनर अनिल कुंबले की जगह लेने के साथ उनसे की जाने वाली अपेक्षाओं के भारी दबाव से निपटने में बीता तो दूसरा दौर रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा के आने से हुई प्रतिस्पर्धा से निपटने का रहा। इसमें से ऑफ स्पिनर अश्विन जहां महेंद्र सिंह धोनी की योजना का हिस्सा रहे तो वहीं जडेजा विराट कोहली की रणनीति के अनुकूल रहे। लेकिन लेग ब्रेक गेंदबाजी करने वाले और शानदार गुगली फेंकने वाले मिश्रा को अश्विन और जडेजा के साथ तीसरे विकल्प के रूप में काफी कम इस्तेमाल किया जाता।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था डेब्यू
अमित मिश्रा ने साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। उन्होंने अपने पहले ही मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहली पारी में पांच विकेट झटके और दूसरी पारी में भी दो विकेट लेकर सबका ध्यान खींचा। अमित ने 22 टेस्ट में 76 विकेट लिए हैं। उन्होंने प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के बाद न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, यह बहुत निराशाजनक चीज थी। कभी आप टीम में होते हैं, कभी बाहर। कभी आपको प्लेइंग-11 में खेलने का मौका मिलता, कभी नहीं। निश्चित रूप से यह निराशाजनक है। इसमें कोई शक नहीं कि मैं कई बार निराश हुआ। लेकिन आपका सपना तो भारत के लिए क्रिकेट खेलना होता है। आप राष्ट्रीय टीम के साथ हो और लाखों लोग टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हो। आप भारतीय टीम के 15 खिलाड़ियों में से एक हो तो मैंने सकारात्मक बने रहने की कोशिश की।//देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/

अमित ने स्वीकार किया कि भारतीय टीम में अंदर-बाहर होते रहना मानसिक रूप से मुश्किल था। उन्होंने कहा, जब भी मैं निराश होता था तो मैं यही सोचता कि मैं कहां सुधार कर सकता हूं। चाहे वह मेरी फिटनेस हो, बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, मैंने हमेशा बेहतर होने पर ध्यान केंद्रित किया। जब भी मुझे भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला, मैंने अच्छा प्रदर्शन किया। मैं इससे बहुत खुश हूं। मैं कभी कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटा।

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