
देहरादून, 11 सितम्बर। उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित गढ़वाली फिल्म “रैबार” (मतलब संदेश) 19 सितंबर को उत्तराखंड और दिल्ली-एनसीआर के सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज़ होने जा रही है। किनोस्कोप फिल्म्स निर्मित यह फिल्म इतिहास रचने जा रही है क्योंकि यह उत्तराखंड की पहली फिल्म होगी जिसका प्रदर्शन अमेरिका में भी उसी दिन किया जाएगा।
डाकिया पुष्कर सिंह बिष्ट की कहानी पर बनी है फिल्म
फिल्म “रैबार” हिमालय की गोद में बसे पिपलकोटी गांव के 34 वर्षीय डाकिया पुष्कर सिंह बिष्ट की संवेदनशील कहानी है। पर्वतों से परे जीवन जीने का सपना देखने वाले पुष्कर की जिंदगी तब बदल जाती है जब उसे डाकघर में सात साल पुराना एक अधूरा पत्र मिलता है। यह पत्र एक दिवंगत व्यक्ति ने अपने बेटे के लिए लिखा था, जिसमें क्षमा की याचना की गई है। इस पत्र को उसके गंतव्य तक पहुंचाने की जद्दोजहद पुष्कर सिंह बिष्ट को ऋषिकेश, देहरादून और दिल्ली तक की आत्म-खोज यात्रा पर ले जाती है।
गढ़वाली सुरों और आधुनिक रचना का सुंदर संगम
फिल्म का संगीत एल्बम पारंपरिक गढ़वाली सुरों और आधुनिक रचना का सुंदर संगम है। इसे राजेंद्र चौहान ने कंपोज़ किया है, गीत डॉ. सतीश कलेश्वरी ने लिखे हैं और संगीत निर्देशन व पृष्ठभूमि संगीत विभू काशिव ने तैयार किया है। रोहित चौहान और कैलाश कुमार की मधुर आवाज़ों ने गानों को और असरदार बना दिया है।
कलाकारों में सुनील सिंह, सुमन गौड़, श्रीष डोभाल, राजेश नौगाईं, मोहित घिल्डियाल, सुशील पुरोहित, सृष्टि रावत, मोहित थपलियाल और धर्मेन्द्र चौहान शामिल हैं। फिल्म का निर्देशन शिशिर उनियाल ने किया है और निर्माण में भगत सिंह, परवीन सैनी, बलराज जांगड़ा, बबिता अग्रवाल, इशिता मन्ना, ईप्सिता मन्ना, राकेश पोखरियाल, शशि पोखरियाल और सुभाष चमोली जुड़े हैं।
गढ़वाली संस्कृति से जुड़ी है फिल्म रैबार
निर्देशक शिशिर उनियाल का कहना है, “रैबार के माध्यम से हम क्षमा और आत्म-खोज की शक्ति को दर्शकों तक पहुंचाना चाहते हैं। यह कहानी न सिर्फ गढ़वाली संस्कृति से जुड़ी है, बल्कि सार्वभौमिक भावनाओं को भी छूती है।” निर्माता भगत सिंह ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि उत्तराखंड की लोकभाषा और संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई जाए। रैबार उस विरासत का सशक्त प्रतिनिधित्व करेगी।”