उत्तराखंडक्राइमदेश-विदेशबड़ी खबरशिक्षासामाजिकस्वास्थ्य

तमसा नदी के रौद्र रूप में बह गयी टपकेश्वर में शिव की मूर्ति, इतना बिकराल रूप देख हर कोई हैरान

Listen to this article
देहरादून, 16 सितम्बर। टपकेश्वर मंदिर में तड़के सुबह चार बजे के आसपास तमसा नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया था। इसके बाद देखते ही देखते नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया। मंदिर में स्थापित करीब 25 फीट की हनुमानजी की मूर्ति के गले तक पानी पहुंच गया। मंगलवार को टपकेश्वर मंदिर में तमसा नदी के विकराल रूप के बाद तबाही का मंजर ऐसा था कि हर कोई हैरान था। सुबह करीब आठ बजे नदी का जलस्तर कम हुआ तो मुख्य मंदिर में मलबा तो बाहर बड़े-बड़े पेड और बोल्डर पड़े मिले।
टपकेश्वर मंदिर में तड़के सुबह चार बजे के आसपास तमसा नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया था। इसके बाद देखते ही देखते नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया। मंदिर में स्थापित करीब 25 फीट की हनुमानजी की मूर्ति के गले तक पानी पहुंच गया। सुबह करीब आठ बजे नदी का जलस्तर कम हुआ तो पुजारी समेत अन्य लोग मंदिर पहुंचे। इस दरमियान यहां का मंजर देख कांप उठे। मंदिर में पेड़ और बोल्डर पड़े मिले जिनसे रास्ते तक बंद हो गए थे। कई जगह रेलिंग टूटी मिली तो कही दीवार क्षतिगस्त हो गया था। मलबा भी कई फीट तक जमा मिला।
आपदा का पता लगते ही मंदिर की ओर दौड़े लोग
सुबह आपदा की खबर सुनते ही लोग टपकेश्वर मंदिर की ओर दौड़े। हालांकि पहले ही मंदिर के गेट पर बैरिकेडिंग लगाकर रास्तों को बंद कर दिया गया था। इसके बाद भी लोगों में मंदिर तक पहुंचने की होड़ रही। सेवादार पानी का बहाव तेज होने की लगातार जानकारी देकर सभी को मंदिर में जाने से रोकते रहे।
इतना विकराल रूप की हर कोई हैरान
तमसा नदी के जलस्तर ने हर किसी को हैरान किया। सुबह नदी के बढ़े जलस्तर का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा की गई। इसमें हनुमानजी की मूर्ति के गले तक पानी पहुंच गया था।
मन में पीड़ा के अलावा कुछ नहीं : कृष्णा गिरी
टपकेश्वर मंदिर के महंत 108 कृष्णा गिरी महाराज ने कहा कि आपदा के बाद मंदिर में कुछ भी सुरक्षित नहीं बचा है लेकिन बाबा की कृपा से जनमानस को कोई हानि नहीं हुई है, सभी सुरक्षित हैं। मन में पीड़ा के अलावा कुछ नहीं है। बाबा के शृंगार समेत कुछ भी नहीं बचा है। देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
आज से पहले कभी नहीं दिखा ऐसा विकराल रूप
आचार्य डॉ. बिपिन जोशी ने कहा कि इस प्रकार का विकराल रूप कभी नहीं देखा। 25 साल से हम मंदिर में रह रहे हैं लेकिन कभी इसका आधा पानी भी नदी में नहीं आया। मंदिर के अंदर गर्भगृह सुरक्षित है। भगवान शिव की कृपा रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। उन्होंने बताया कि मंदिर में आपदा में ढहा पुल 1962 में बना था। यह पुल टपकेश्वर मंदिर से माता वैष्णो देवी गुफा, केवि बीरपुर के पीछे के गेट और आर्मी कैंट को जोड़ता था। जिसे गोरखा रेजिमेंट की ओर से बनाया गया था। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि अब 22 सितंबर से नवरात्र शुरू होने वाले हैं। भक्तों की सुविधा के लिए फिलहाल अस्थाई पुल का निर्माण कराया जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button