
केएस रावत। माता रानी हर वर्ष अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं। इस बार नवरात्रि में माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा के वाहन का विशेष महत्व होता है, जो वर्ष की सामाजिक और प्राकृतिक परिस्थितियों की झलक देता है।
शारदीय नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना इतना पवित्र माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति शुभ कार्य करना चाहता है, तो उसके लिए यह समय अत्यंत उत्तम माना जाता है। शारदीय नवरात्रि पर माता रानी की उपासना करना भी बेहद शुभ होता है। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर से हो रहा है। खास बात यह है कि इस बार नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि कुल 10 दिनों की होगी।
ऐसी मान्यता है कि माता रानी हर वर्ष अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं। इस बार नवरात्रि में माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा के वाहन का विशेष महत्व होता है, जो वर्ष की सामाजिक और प्राकृतिक परिस्थितियों की झलक देता है। माना जा रहा है कि देश में अच्छी वर्षा होगी, कृषि क्षेत्र में उन्नति होगी और समृद्धि के योग बनेंगे। आइए जानते हैं कि हाथी वाहन का क्या धार्मिक महत्व है और यह नवरात्रि को क्यों बना रहा है और भी खास।
घट स्थापना सुबह 5.58 से 7.52 तक होगी
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार घट स्थापना मुहूर्त सोमवार 22 सितम्बर को सुबह 5.58 बजे से 7.52 बजे तक की जाएगी और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11.37 से 12.25 बजे तक रहेगा।
तृतीया तिथि 24 और 25 को भी
तृतीया तिथि 24 और 25 सितम्बर को दो दिन रहेगी। इसके चलते नवरात्र की अवधि एक दिन और बढ़ गई है। नवरात्र में बढ़ती तिथियों को शुभ माना जाता है। यह शक्ति, उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। इसके विपरीत घटती तिथियां अशुभ फल देने वाली मानी जाती हैं। इस बार 21 सितम्बर को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जाएगा , इसलिए इसका प्रभाव देश पर नहीं पड़ेगा। इस कारण नवरात्र और विजयदशमी दोनों पर्व बिना किसी ग्रहण दोष के मनाए जाएंगे।
हाथी की सवारी का महत्व
देवी भागवत पुराण सहित कई अन्य ग्रंथों में हाथी को शक्ति, स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं, तो इसे अत्यंत शुभ और मंगलकारी संकेत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी का हाथी पर आगमन कृषि, व्यापार और पारिवारिक जीवन में सकारात्मकता लाता है। यह संकेत करता है कि खेतों में अच्छी फसल होगी और भरपूर वर्षा होगी, जिससे किसानों को लाभ मिलेगा। व्यापार और कारोबार में तेजी आएगी, आर्थिक दृष्टि से समय लाभकारी रहेगा और लोगों के जीवन में स्थायित्व तथा उन्नति आएगी। साथ ही, परिवारों में सुख-शांति और आपसी प्रेम का वातावरण बनेगा। विशेष रूप से किसानों के लिए यह वर्ष अत्यंत फलदायी माना जा रहा है, क्योंकि हाथी पर आगमन कृषि कार्यों और प्राकृतिक संतुलन के लिए शुभ संकेत माना गया है।
हिंदू धर्म में हाथी का स्थान
हिंदू परंपराओं में हाथी को शुभ जीव माना गया है। भगवान इंद्र का वाहन ऐरावत भी हाथी ही है और गणपति का स्वरूप भी हाथीमुख है, जो बुद्धि और समृद्धि का द्योतक है। यही कारण है कि जब मां दुर्गा हाथी की सवारी करती हैं, तो यह सकारात्मक ऊर्जा और मंगलकारी फल का प्रतीक बन जाता है।
मां दुर्गा का प्रस्थान
इस बार माता रानी का प्रस्थान मनुष्य के कंधे पर होगा और यह गुरुवार, 2 अक्टूबर को होगा। मान्यता है कि इस प्रकार का प्रस्थान भी बेहद शुभ होता है। यह संकेत देता है कि समाज में शांति का वातावरण रहेगा, व्यापार में प्रगति होगी और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार होगा।
कैसे तय होता है माता रानी का वाहन
आमतौर पर हर देवी-देवता का विशेष वाहन होता है. जैसे भगवान गणेश का मूषक, भोलेनाथ का नंदी, माता लक्ष्मी का उल्लू, देवी सरस्वती का हंस, भगवान विष्णु का गरुड़ और देवी दुर्गा का शेर. लेकिन नवरात्रि ऐसा समय होता है जब माना जाता है कि नौ दिनों तक देवी दुर्गा का वास धरती पर होता है. इस दौरान धरती पर मां का आगमन विशेष वाहन पर होता है. आइए जानते हैं कैसे तय होता है माता का वाहन.
माता रानी का वाहन क्या होगा, यह पूरी तरह से नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति के दिन पर निर्भर करता है. देवी भागवत पुराण के अनुसार जब नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति रविवार या सोमवार के दिन होती है तो माता रानी आगमन और प्रस्थान (गज) हाथी पर होता है.
वहीं मंगलवार और शनिवार के दिन नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति होने पर मां का वाहन अश्व (घोड़ा) होता है. माता रानी का घोड़े पर आना या जाना अच्छा नहीं माना जाता है. इसे संघर्ष का संकेत माना जाता है.
नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति जब गुरुवार और शुक्रवार के दिन होती है, तब माता पालकी पर आती और जाती हैं. यह भी शुभ नहीं होता है. पालकी पर मां का आना और जाना अस्थिरता और चुनौतियों का संकेत माना जाता है.
वहीं बुधवार के दिन से जब नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति होती है तो माता रानी नौका (नांव) पर आती और जाती हैं. नांव को अच्छा संकेत माना जाता है. यह आपदा मुक्ति और शांति का प्रतीक होता है.