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नवरात्र में दुर्गा की शक्ति और पवित्रता का प्रतीक अखंड ज्योत जलाने का महत्व

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केएस रावत। अखंड ज्योत नवरात्र की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है. माना जाता है कि नवरात्र के नौ दिन तक लगातार जलने वाली इस पवित्र लौ से माता दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्र में माता दुर्गा के सामने अखंड ज्योत क्यों जलाते हैं और इसके लाभ क्या हैं.

अखंड ज्योति का अर्थ- अखंड यानी अटूट और ज्योति यानी प्रकाश. यानी अखंड ज्योति एक ऐसी ज्योति है, जो नवरात्रि के दौरान अखंड रूप से जलाई जाती है. ये ज्योति देवी दुर्गा की शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है. इसलिए नवरात्र में अखंड ज्योत जलाना बेहद शुभ होता है.

माता दुर्गा की कृपा
नवरात्र में अखंड ज्योत जलाने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि जिस घर में 9 दिन यह पवित्र ज्योत जलती है, उस घर में माता दुर्गा की खास कृपा होती है. यह ज्योत न केवल संकटों से रक्षा करती है बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि, शांति के रास्ते भी खोलती है.

नकारात्मक ऊर्जा का नाश
मान्यता है कि नवरात्र में अखंड ज्योत जलाने से घर के वातावरण से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. अखंड ज्योत की लौ पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती है. इस लौ के निरंतर जलते रहने से आस-पास का वातावरण शुद्ध होता है.

सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना
नवरात्र की अखंड ज्योत से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. इससे घर में सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है. ऐसी मान्यता है कि इस आखंड ज्योत से परिवार के सदस्यों की उन्नति और प्रगति होती है.

पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
अखंड ज्योत जलाने से न केवल पिछले कर्मों के दोष समाप्त होते हैं, बल्कि पुण्य की प्राप्ति भी होती है. माना जाता है कि आखंड ज्योत पुण्य के मार्ग को प्रशस्त करती है.

अखंड ज्योत की देखभाल और सही विधि
नवरात्र में अखंड ज्योत को पूरे नौ दिनों तक निरंतर जलते रहना चाहिए. इसे केवल दीपक नहीं, बल्कि देवी मां दुर्गा की उपासना और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इसकी देखभाल पर विशेष ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है. अखंड ज्योति को लगातार जलाए रखने के लिए समय-समय पर घी या तेल डालते रहना चाहिए. कई बार हवा, अनजाने में हुई भूल या अन्य कारणों से दीपक बुझ सकता है. ऐसा होने पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. ऐसी स्थिति में मां दुर्गा से क्षमा मांगकर दीपक को पुनः प्रज्वलित करना चाहिए.

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