
नई दिल्ली, 27 सितम्बर। दिल्ली पुलिस के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है. दिल्ली पुलिस ने स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी को देर रात आगरा से गिरफ्तार किया. उन पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) छात्रवृत्ति के तहत PGDM पाठ्यक्रम कर रही छात्राओं से कथित तौर पर छेड़छाड़ और जालसाजी का आरोप है.
दिल्ली पुलिस ने देर रात स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को आगरा के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया. टीम आगरा से दिल्ली के लिए रवाना हो गई है और आज बाद में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को अदालत में पेश करेगी. उन पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) छात्रवृत्ति के तहत PGDM पाठ्यक्रम कर रही छात्राओं से कथित तौर पर छेड़छाड़ और जालसाजी का आरोप है।
बता दें कि बीते दिन ही छात्रों के साथ कथित यौन उत्पीड़न के आरोपी स्वामी के मामले में पुलिस ने आरोपी द्वारा गठित ट्रस्ट से संबंधित 18 बैंक अकाउंट और 28 फिक्स डिपॉजिट एकाउंट को फ्रीज करवा दिया है. इनमें करीब आठ करोड़ रुपये मौजूद थे. आरोपी के डेबिट औरि क्रेडिट कार्ड भी बंद करवा दिए हैं.
कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
बता दें कि शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने बाबा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. बाबा ने अपने खिलाफ दर्ज कथित धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग की थी. लेकिन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने कहा कि मौजूदा मामले की जांच अभी शुरुआती दौर में है. जांच अधिकारी को धोखाधड़ी, ठगी, साजिश और पैसों के दुरुपयोग की पूरी कड़ी का पता लगाने के लिए याचिकाकर्ता व आरोपी से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है. जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि आरोपी अपने दिए गए पते पर मौजूद नहीं है और उसका मोबाइल फोन बंद है. आरोपों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट आरोपी को अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, दिल्ली के वसंत कुंज स्थित एक आश्रम के शाखा के निदेशक पर 15 से अधिक छात्राओं द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद कथित छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस के अनुसार, 4 अगस्त को वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में स्वामी के खिलाफ संस्थान के एक प्रशासक से शिकायत मिली थी, जिसमें संस्थान में ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति योजना के तहत पीजीडीएम पाठ्यक्रम करने वाली छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था.
पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए गए, जिनमें से 17 ने आरोपियों द्वारा अपमानजनक भाषा, अश्लील व्हाट्सएप/एसएमएस संदेश और अवांछित शारीरिक संपर्क का आरोप लगाया. साथ ही यह भी आरोप लगाया कि संकाय/प्रशासक के रूप में कार्यरत महिलाओं ने उन्हें आरोपियों की मांगों को पूरा करने के लिए उकसाया और दबाव डाला.