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चौखुटिया हॉस्पिटल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ पूरा कस्बा सड़कों पर उतरा

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देहरादून, 16 अक्टूबर। उत्तराखंड पेपर लीक आंदोलन के बाद अब अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में हो रहा आंदोलन चर्चाओं में है. चौखुटिया का आंदोलन किसी भर्ती घोटाले का नहीं, बल्कि बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर है. इसीलिए इस आंदोलन को प्रदर्शनकारियों ने ऑपरेशन स्वास्थ्य नाम दिया है. चौखुटिया हॉस्पिटल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के लेकर पूरा कस्बा सड़कों पर उतरा हुआ है.

इस आंदोलन का असर ये हुआ कि सरकार को जनता की बात तुरंत सुननी पड़ी. मुख्यमंत्री धामी ने भी मामले का संज्ञान लिया और सीएससी चौखुटिया को लेकर बड़ी घोषणा की. सीएचसी चौखुटिया को उप जिला अस्पताल में अपग्रेड कर दिया है. साथ ही बेड की संख्या बढ़ाकर 50 करने और डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाए जाने के संबंध में भी शासनादेश जारी कर दिया गया है, लेकिन अभी भी लोगों ने अपना आंदोलन खत्म नहीं किया है.

दो अक्टूबर को शुरू हुआ छोटा सा आंदोलन जनसैलाब में बदला


अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दो अक्टूबर को महज़ 15-20 लोगों ने ये आंदोलन शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे ये आंदोलन जनसैलाब में बदल गया. पूर्व सैनिक भुवन कठायत और बचे सिंह की अगुवाई में लोग पहले जल सत्याग्रह पर उतरे. उसके बाद आमरण अनशन किया. अब रोजाना हजारों की तादाद में लोग हाथों में तख्तियां लिए स्वास्थ्य विभाग को जगाने की कोशिश कर रहे हैं. इस आंदोलन में क्या महिलाएं, क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सभी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि यह आंदोलन किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे इलाके की सांसों की लड़ाई बन गया है. दो अक्टूबर से चल रहे इस आंदोलन के सूत्रधार रहे पूर्व सैनिक भुवन कथायत उनके ही जल स्थागृह और अमरणांसन के बाद भीड़ को ये मालूम हुआ की आखिरकार ये लड़ाई क्यों है.

स्वास्थ्य सेवाएं कागजों में जमीन पर सन्नाटा
चौखुटिया का सीएचसी अस्पताल कागज़ों पर तो 30 बिस्तरों से बढ़ाकर 50 बिस्तरों तक की सूची में है. मगर ज़मीन पर हालात इससे उल्ट हैं.

डॉक्टरों के अधिकांश पद खाली हैं. चौखुटिया के सरकारी हॉस्पिटल में न तो सर्जन है और न ही गायनाकोलॉजिस्ट. बाल रोग विशेषज्ञ का पद भी खाली पड़ा हुआ है. 24 घंटे की इमरजेंसी सेवा सिर्फ नाम मात्र है.
बचे सिंह, आंदोलनकारी

एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और बुनियादी लैब टेस्ट जैसी सुविधाएं भी या तो बंद हैं या बेहद सीमित. बचे सिंह की मानें तो समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण बीते कुछ महीनों में कई मरीजों की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग जगाने को तैयार नहीं है.

वो कहते है कि हमने बार-बार प्रशासन से अपील की, पत्राचार किया. लेकिन किसी ने नहीं सुनी. जब हमारे क्षेत्र में लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ने लगे तो मजबूर होकर हमें आंदोलन का रास्ता चुनना पड़ा. जब तक सरकार ठोस कार्रवाई कर स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त नहीं करती आंदोलन जारी रहेगा.
भुवन कथायत, पूर्व सैनिक

आखिरकार नींद से जागी सरकार
आंदोलन में बढ़ती भीड़ ने सरकार को जगाने पर मजबूर किया. यहीं कारण है कि 16 अक्टूबर को एक और आदेश जारी हुई. आदेश स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार की तरफ से जारी हुआ, जिसमें चौखुटिया के लोगों को जानकारी देते हुए बताया गया कि अब अस्पताल को अपग्रेड किया जा रहा है. जल्द ही 30 बेड के अस्पताल को 50 बेड का कर दिया जाएगा. इसके अलावा डिजिटल एक्सरे मशीन भी अस्पताल में लगाई जाएगी. वहीं डॉक्टरों की तैनाती को लेकर भी विभाग आगे कार्य कर रहा है:

राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज़: साल 2027 के विधानसभा चुनाव नज़दीक आने के साथ ही चौखुटिया का यह आंदोलन राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, जहां एक ओर स्थानीय लोग इसे जनता की आवाज बता रहे हैं तो वहीं कांग्रेस भी इस आंदोलन के साथ खड़ी हो रही है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महरा का कहना है कि चौखुटीया सिर्फ एक छोटा सा गांव नहीं है, बल्कि ये वो क्षेत्र है, जहा से गढ़वाल के लोगों को भी स्वास्थ सुविधा मिलती है. ऐसे में सरकार ने अभी तक न तो आंदोलनकारियों से बातचीत की है और न ही उनके आंदोलन के बाद कोई एक्शन लिया है.

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