
सार्थकपहल.काम। हर साल कार्तिक अमावस्या पर दीपावली का त्योहार मनाने की परंपरा है. इस साल दीपावली का शुभ पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. कहते हैं कि दीपावली की रात मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को धनधान्य, सुख-संपन्नति का वरदान देती हैं. इसलिए दिवाली की रात लोग मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. ज्योतिषविदों का कहना है कि इस साल दिवाली का त्योहार बेहद खास रहने वाला है. दिवाली पर करीब 100 साल बाद महालक्ष्मी राजयोग का निर्माण होने जा रहा है.
ज्योतिषाचार्य प्रतीक भट्ट ने बताया कि दिवाली पर करीब 100 साल बाद महालक्ष्मी राजयोग का निर्माण अपने आप में सुखद है. साल 2025 लोगों के लिए काफी उठा-पटक भरा रहा है. युद्ध, तनाव, शेयर बाजार में गिरावट आदि के बाद दिवाली पर इस महालक्ष्मी राजयोग का बनना किसी शुभ संकेत की दस्तक जैसा है. महालक्ष्मी योग के चलते आम लोगों को आर्थिक मोर्चे पर जबरदस्त लाभ हो सकता है.
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त?
दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश की संयुक्त पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त रहेंगे. पहला शुभ समय प्रदोष काल में रहेगा, जो शाम 5 बजकर 46 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, आप चाहें तो वृषभ काल में भी पूजा कर सकते हैं, जो शाम 7 बजकर 08 मिनट से रात 9 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. यह मुहूर्त भी अत्यंत शुभ माना जाता है.
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 7 बजकर 08 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक का है. इस दौरान आपको पूजन के लिए लगभग 1 घंटा 11 मिनट का श्रेष्ठ समय मिलेगा.
इस बार दिवाली पर पूजा के तीन खास मुहूर्त रहने वाले हैं. आप सुविधानुसार किसी भी मुहूर्त में देवी लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं.
पहला शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 5 बजकर 46 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक. दूसरा शुभ मुहूर्त (वृषभ काल)- शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 03 मिनट तक तीसरा शुभ मुहूर्त (सर्वोच्च मुहूर्त)- शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक. इस दौरान आपको लक्ष्मी-गणेश की पूजा के लिए करीब 1 घंटा 11 मिनट का समय मिलेगा.
दिवाली पर चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत)- दोपहर 3:44 बजे से शाम 5:46 बजे तक, संध्या मुहूर्त (चर)- शाम 5:46 बजे से शाम 7:21 बजे तक, रात्रि मुहूर्त (लाभ)- रात 10:31 बजे से रात 12:06 बजे तक, उषाकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर)- 21 अक्टूबर को देर रात 1:41 बजे से सुबह 6:26 बजे तक
क्यों 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी दिवाली?
इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रही है. कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर दोपहर 03:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 05:54 समाप्त होगी. लेकिन प्रदोष काल और निशीत काल के कारण दीपावली का शुभ त्योहार 20 अक्टूबर दिन सोमवार को बनाना ही उचित होगा.
दीपावली की पूजन विधि
दीपावली पूजन के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी स्थापित करें. चौकी पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाएं. उस पर पहले भगवान गणेश की मूर्ति रखें और उनके दाहिनी ओर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद आसन पर बैठकर अपने चारों ओर जल का छिड़काव करें और संकल्प लेकर पूजा की शुरुआत करें.
सबसे पहले एकमुखी घी का दीपक प्रज्वलित करें. फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल, मिठाई और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें. इसके बाद पहले गणेश जी और फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. पूजा पूरी होने के बाद आरती करें और शंख बजाएं. घर में दीपक जलाने से पहले एक थाली में पांच दीपक रखकर उनका पूजन करें. फिर उन्हें घर के विभिन्न हिस्सों में जलाना आरंभ करें. दीपावली की पूजा के समय लाल, पीले या चमकीले रंग के वस्त्र पहनें और काले, भूरे या नीले रंग के कपड़ों से बचें।
दीप जले, खुशियां मिलें, घर-आंगन में उजाला मिले। दीपावली का पर्व ये प्यारा, लाए जीवन में उजियारा।। आप सभी को परिवार सहित दीपावली की शुभकामनाएं।