
देहरादून, 26 अक्तूबर। राज्य के सरकारी स्कूलों में नौनिहाल पढ़ाई करने के साथ अब ढोल की ढमण-ढम, दमाऊ की तमण-तम बजाना भी सीखेंगे। सरकार का यह प्रयास स्थानीय लोक वाद्ययंत्रों को बचाने के लिए है। नौनिहालों को राज्य की लोक संस्कृति और लोकगीतों के बारे में जानकारी दी जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सरकारी स्कूलों में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने को लेकर यह कदम उठाया गया है। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के मुताबिक फिलहाल पहले चरण में राज्य के प्रत्येक विकासखंड के सर्वाधिक छात्र संख्या वाले चार विद्यालयों में योजना लागू की जाएगी।
ढोल, दमाऊ और मशकबीन जैसे वाद्य यंत्र उपलब्ध होंगे: धन सिंह
शिक्षा मंत्री के अनुसार, योजना के तहत चिन्हित स्कूलों में ढोल, दमाऊ और मश्कबीन जैसे वाद्य यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। इतना ही नहीं स्कूली बच्चों को ढोल, दमाऊ और मश्कबीन बजाने का प्रशिक्षण दिया जा सके, इसके लिए सभी स्कूलों में संगीत शिक्षकों की भी नियुक्तियां की जाएगी। इतना ही नहीं बच्चों को राज्य के पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजाने के गुर सीखने के साथ ही उन्हें लोकगीतों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। योजना के लिए अलग से बजट की व्यवस्था की जाएगी।
पारंपरिक लोक गीतों को संजोकर रखना ही नई शिक्षा नीति का उद्देश्य
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य के नौनिहाल पारंपरिक संगीत शिक्षा को सीखने के साथ ही इसे आगामी पीढ़ी तक पहुंचा सके, इसके लिए राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग की ओर से यह कदम उठाया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से लागू हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत कई प्रावधान किए गए हैं। जिसमें राज्य सरकारों को कहा गया है कि वे अपनी-अपने राज्यों में पारंपरिक वाद्य यंत्रों और संगीत के बारे में भी छात्राओं को पारंगत करें ताकि पारंपरिक वाद्य यंत्रों और लोकगीतों को संजोया जा सके।



