
नई दिल्ली, 3 दिसम्बर। बिना किसी किताब को देखे, बिना रुके, लगातार 50 दिनों तक हजारों कठिन संस्कृत मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करना आज के दौरान में किसी के लिए असंभव सा लगता है, पर इसे महाराष्ट्र के एक 19 वर्षीय युवा देवव्रत महेश रेखे ने वह कर दिखाया है जो पिछले 200 वर्षों में किसी ने नहीं किया। उनकी इस कठिन ‘साधना’ ने न केवल काशी के विद्वानों को चौंका दिया, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी उनका मुरीद बना दिया।
मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं देवव्रत महेश रेखे
देवव्रत महेश रेखे मूल रूप से महाराष्ट्र के अहिल्या नगर के रहने वाले हैं। महज 19 वर्ष की आयु में उन्होंने वेदों के प्रति वह समर्पण दिखाया है जो बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी दुर्लभ है। देवव्रत वर्तमान में वाराणसी (काशी) के रामघाट स्थित वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के छात्र हैं। देवव्रत एक वैदिक परिवार से आते हैं। उनके पिता वेदब्रह्मश्री महेश चंद्रकांत रेखे स्वयं एक प्रतिष्ठित वैदिक विद्वान हैं और उन्होंने ही देवव्रत को इस कठिन मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया है।
महाराष्ट्र के 19 साल के देवव्रत महेश रेखे ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसे सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. इन्होंने शुक्ल यजुर्वेद के लगभग 2000 मंत्रों को “दण्डक्रम” नाम की बहुत मुश्किल पद्धति से 50 दिनों तक लगातार बिना रुके पढ़ डाला. विद्वानों का कहना है कि पिछले 200 साल में पहली बार कोई इतनी शुद्ध तरीके से यह काम कर पाया है. इतिहास में सिर्फ तीन बार ही यह कारनामा हुआ था, और देवव्रत ने सबसे कम समय में इसे बिल्कुल सही-सही पूरा किया. इस खास मौके पर उन्हें 5 लाख रुपये का सोने का कड़ा और 1 लाख 11 हजार 116 रुपये नकद दिए गए.
दंडक्रम का इतिहास में सिर्फ तीन बार हुआ है प्रदर्शन
विद्वानों ने बताया कि जटिल स्वर-पद्धति एवं उच्चारण-शुद्धता के लिए “वेद पाठन का शिरोमणि” कहे जाने वाले दण्डक्रम का इतिहास में मात्र तीन बार ही प्रदर्शन हुआ है. देवव्रत का पारायण त्रुटिरहित होने के साथ-साथ सबसे कम अवधि में पूर्ण हुआ. यह बात शृंगेरी मठ के आधिकारिक एक्स हैंडल ने भी पोस्ट की है.
पीएम मोदी ने पोस्ट कर दी शुभकामनाएं
वहीं इस मौके पर पीएम मोदी ने X पर एक पोस्ट में कहा- ’19 वर्ष के देवव्रत महेश रेखे जी ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है. उनकी ये सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने वाली है. भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर एक व्यक्ति को ये जानकर अच्छा लगेगा कि श्रीदेवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों वाले ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को 50 दिन तक बिना किसी अवरोध के पूर्ण किया है. इसमें अनेक वैदिक ऋचाएं और पवित्रतम शब्द उल्लेखित हैं, जिन्हें उन्होंने पूर्ण शुद्धता के साथ उच्चारित किया. ये उपलब्धि हमारी गुरु परंपरा का सबसे उत्तम रूप है.
शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के ‘दण्डकर्म पारायणम्ा’ का 50 दिनों तक अखंड, शुद्ध और पूर्ण अनुशासन के साथ पाठ करना हमारी प्राचीन गुरू-परंपरा के गौरव का पुनर्जागरण है। उन्होंने इसे भारतीय वैदिक परंपरा की शक्ति और अनुशासन का जीवंत उदाहरण बताया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह महत्वपूर्ण वैदिक अनुष्ठान पवित्र काशी की धरती पर सम्पन्न हुआ। सीएम ने देवव्रत रेखे के परिवार, आचार्यों, संत-मनीषियों और उन सभी संस्थाओं का अभिनंदन भी किया, जिनके सहयोग से यह महान तपस्या सफल हो सकी।
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री



