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Uttarakhand PCS Mains की परीक्षा पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, प्रीलिम रिजल्ट फिर से जारी करने के दिए निर्देश

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नैनीताल, 4 दिसम्बर। हाई कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की छह दिसंबर को प्रस्तावित प्रांतीय सिविल सेवा, उच्च अधीनस्थ सेवा आयोग की छह दिसंबर के प्रस्तावित पीसीएस 2025 की मुख्य परीक्षा पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए सवालों को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया है। कोर्ट ने आयोग को सामान्य अध्ययन के गलत सवाल को हटाते हुए प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम फिर से जारी करने व आयोग के 2022 के रेगुलेशन के अनुसार मैरिट लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं।

परिणाम फिर से करें जारी
हाई कोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए सवालों को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया है। कोर्ट ने आयोग को गलत सवाल को हटाते हुए प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम फिर से जारी करने व 2022 के रेगुलेशन के अनुसार मैरिट लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं।

आयोग ने पीसीएस प्री परीक्षा का परिणाम 23 दिसंबर 2024 को जारी किया था। इसमें परिवीक्षा अधिकारी (महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग) के पद के लिए 12 अभ्यर्थियों को क्वालिफाई घोषित किया गया था। इनके रोल नंबर 107132, 119742, 120925, 144302, 146609, 162271, 176078, 186453, 219236, 219819, 238736, 245207 हैं। जब मुख्य परीक्षा परिणाम आया तो आयोग ने इनमें से 162439, 182463 और 197739 को सफल घोषित किया।

अभ्यर्थियों ने आयोग के सामने सवाल उठाया
परिवीक्षा अधिकारी प्री परीक्षा की संशोधित कटऑफ 95.9854 अंक थी। जो तीन अभ्यर्थी इस पद के लिए प्री परीक्षा में आयोग ने सफल घोषित किए थे, उनमें से एक के अंक 81.2988, दूसरे के 82.3486 और तीसरे के अंक 91.7894 थे। आयोग ने प्री परीक्षा परिणाम में कटऑफ और अर्हता से कम वाले अभ्यर्थियों को परिवीक्षा अधिकारी के पदों के लिए सफल घोषित किया।

याचिका पर हुई सुनवाई
बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र सिंह मैठाणी व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हरिद्वार के कुलदीप सिंह राठी की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया था कि आयोग की ओर से आयोजित परीक्षा में एक सवाल गलत पूछा गया था।
एक सवाल गलत तरीके से बनाया

आयोग की ओर से कोर्ट में माना कि ने सामान्य अध्ययन में एक सवाल गलत तरीके से बनाया गया था, जिसे हटा देना चाहिए था। कोर्ट ने भी कहा कि आयोग को यह सवाल हटा देना चाहिए था।

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