निर्दलीयों के हाथ इस बार लगने वाली है सत्ता की चाबी!

देहरादून। निर्दलीयों का दमउत्तराखंड की सियासत में क्या एक बार फिर दिखने वाला है? लगता है कि प्रदेश की सत्ता बनाने में वे किंग मेकर साबित होने वाले हैं? चुनाव के बाद सत्तासीन भाजपा और विपक्षी कांग्रेस भले ही प्रदेश में अपनी सरकार बनाने का राग अलाव रहे हों, मगर इतना तय है कि इस बार निर्दलीयों की बल्ले-बल्ले होगी।
तैर रही चर्चाओं की बात करें तो यमुनोत्री सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल और केदारनाथ सीट पर कुलदीप रावत ने पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा। टिहरी विस सीट पर उत्तराखंड जन एकता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश धनै ने भी भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को नाकों चने चबवा दिए हैं। तीनों निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की आंख में चढ़े हैं।
2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव इसके गवाह हैं। 2002 में भाजपा और कांग्रेस को छोड़ दिया जाए तो बाकी 14 सीटों पर निर्दलीयों ने परचम लहराया था, जबकि 2007 में 14 सीट, 2012 में 7 सीट और 2017 में 2 सीटों पर निर्दलीयों को जीत मिली थी। 2017 के चुनाव में भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत था, इसलिए निर्दलीय को महत्व नहीं मिल सका।
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