पहाड़ की रेल परियोजना एक कदम और आगे बढ़ी, आर-पार हुई सुरंग

ऋषिकेश। पहाड़ की रेल परियोजना एक कदम और आगे बढ़ी है। सीएम के बटन दबाते ही सुरंग आर-पार हो गयी। शिवपुरी और ब्यासी के बीच 26 दिन 1.12 किमी रेलवे सुरंग बनकर तैयार हुई थी। यह सुरंग एनएटीएम तकनीकी से बनाई गयी। शिवपुरी और गूलर के बीच दो अलग-अलग सुरंगें आपस में मिलीं। सीएम धामी के बटन दबाते ही सुरंग आर-पार हो गयी।
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना 16,216 करोड लागत से बन रही है। 2024 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 126 किमी लंबी इस रेल परियोजना में 150 किमी लाइन सुरंगों से होकर गुजरेगी, जबकि शेष 21 किमी ट्रैक खुले आसमान के नीचे बनेगा। इसमें 16 पुल बनाए जायेंगे। करीब 60 किमी सुरंग बनकर तैयार हो चुकी है।
देवप्रयाग से जनासू तक सबसे लंबी सुरंग
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पैकेज नंबर चार (देवप्रयाग से जनासू) की सबसे लंबी सुरंग बनाई जानी है। इस सुरंग की लंबाई 14.70 किमी. है। यह सुरंग के देश की सबसे लंबी सुरंग होगी। इस सुरंग का निर्माण टनस बोरिंग मशीन से किया जाना है।
श्रीनगर, कर्णप्रयाग में बनेगा मालगोदाम
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण के दौरान रेल विकास निगम की ओर से श्रीनगर गढ़वाल और कर्णप्रयाग में रेलवे स्टेशन के निर्माण के साथ ही मालगोदाम भी बनाए जाएंगे। श्रीनगर में दो जबकि सिवाई कर्णप्रयाग में एक मालगोदाम बनेगा।
परियोजना के रेलवे स्टेशन
योगनगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर, धारी देवी, तिलनी, घोलतीर, गौचर और सिवाई (कर्णप्रयाग)।
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम तेजी से किया जा रहा है। 2024 तक परियोजना का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अलग-अलग पैकेज में काम चल रहा है।
ओपी मालगुडी, परियोजना प्रबंधक रेल विकास निगम