
देहरादून। लंपी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सभी पशु चिकित्सकों की छुट्टियां शासन ने रद्द कर दी है। कोरोना महामारी के बाद अब एक और वायरस दस्तक दे रहा है। सरकारी रिपोर्टों को देखें तो अब तक 50 हजार से ज्यादा गाय-भैंसों की मौत हो चुकी है, जबकि लाखों मवेशी इस बीमारी से पीड़ित हैं। राजस्थान में तो इस बीमारी ने मवेशियों में कहर बरपाया हुआ है। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। इसके साथ ही प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारियों की भी तैनाती कर दी गयी है। सौरभ बहुगुणा ने बताया कि शासन स्तर पर अपर सचिव को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जबकि कुमाऊं, गढ़वाल में कमेटियां गठित की गयी है।
अब तक 321 पशुओं की मौत
हरिद्वार, पौड़ी और देहरादून जिले लंपी त्वचा रोग (lumpy pox) से सर्वाधिक ग्रसित हैं। यह बीमारी पशुओं में धीरे-धीरे अन्य जिलों में भी पैर पसार रही है। आंकड़ों के लिहाज से प्रदेश में इस समय 19,404 पशु इस रोग की चपेट में हैं, जबकि 321 पशुओं की मौत हो चुकी है। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा का कहना है कि प्रशासन इस बीमारी से निपटने को प्रभावी कदम उठा रहा है। अब तक 2.35 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।
क्या है लंपी वायरस?
लंपी वायरस को गांठदार त्वचा रोग वायरस भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है। इसके संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है। यह बीमारी capri poxvirus नामक वायरस के चलते होती है। जानकारों का कहना है कि यह बीमारी मच्छर के काटने और खून चूसने वाले कीड़ों के जरिये मवेशियों में होती है।
संक्रमित पशु को बुखार आना, पशुओं में वजन की कमी, लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध कम देना, भूख न लगना, आंखों से पानी टपकना लंपी स्किन बीमारी के लक्षण हैं। https://sarthakpahal.com/