
देहरादून। रिजार्ट पर बुलडोजर किसने चलाया? इस पर अभी भी संशय बरकरार है। अंधेरी रात में हुए बुलडोजर एक्शन ने सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं। कई संगठनों के लोग ही नहीं, बल्कि स्वयं अंकिता के पिता भी बेटी के कमरे में साक्ष्य नष्ट करने का आरोप लगा चुके हैं।
रिजार्ट पर बुलडोजर की कहानी में डीएम विजय जोजदंगे के बयान से नया ट्विस्ट आ गया है। इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि जब प्रशासन ने इस संपत्ति को सील कर दिया तो बुलडोजर चलाने वालों की मंशा क्या रही होगी? हालांकि पुलिस और प्रशासन यह बोल रहा है कि सभी साक्ष्य पहले ही सुरक्षित कर लिये गये थे।
बुलडोजर चलाना नेक नीयत नहीं
उत्तराखंड पुलिस के आधिकारिक ट्वीट में स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर बुलडोजर की कार्रवाई की गयी। जबकि पौड़ी के डीएम जोगदंडे का कहना है कि उन्होंने रिजार्ट पर बुलडोजर चलाने का कोई आदेश नहीं दिया। डीएम की बात से ये पुष्टि भी हो जाती है, क्योंकि तहसील प्रशासन ने रविवार को इस रिजार्ट को सील कर दिया था।
एसडीएम यमकेश्वर के पाले में गेंद
डीएम जोगदंडे ने रिजार्ट पर आधी रात चले बुलडोजर की जांच करने के लिए एसडीएम यमकेश्वर प्रमोद कुमार को जांच करने को कहा है। उनके जांच संबंधी बयान के बाद सबूत नष्ट करने का मुद्दा गरमाता जा रहा है। इतना ही नहीं यमकेश्वर से भाजपा विधायक रेणू बिष्ट रिजार्ट तोड़े जाने वाली रात मौके पर मौजूद थी। उन्होंने उस रात मौके से ही इंटरनेट मीडिया के जरिये बताया था कि मुख्यमंत्री ने जिलाधकारी को वनन्तरा रिजार्ट को ध्वस्त करने के आदेश जारी कर दिये हैं। इसी के तहत यह ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो रही है। https://sarthakpahal.com/
बिना प्रशासन की उपस्थिति में बुलजोजर चलाना अनुचित
अंकिता के पोस्टमार्टम वाले दिन एम्स में मौजूद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत व जिला पंचायत सदस्य क्रांति कपरुवाण आरोप लगा चुके हैं कि प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस प्रशासन की गैरमौजूदगी में रिजार्ट पर बुलडोजर चलाया जाना नेक नीयत नहीं लगता। इससे सबूत निश्चित ही नष्ट हुए होंगे। और अगर ऐसा हुआ होगा तो संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।