देहरादून। उत्तराखंड में हो रहे दो साल बाद हुए छात्र संघ चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने एबीवीपी और एनएसयूआई के छक्के छुड़ा दिये। प्रदेशभर में देर रात घोषित 87 परिणामों में से एबीवीपी ने जहां 37 कालेजों में अध्यक्ष पद कब्जाया है, वहीं निर्दलीयों ने 33 कालेजों में अध्यक्ष पद पर जीत का डंका बजाया है। एनएसयूआई की स्थिति इस बार खराब रहीं। उसके प्रत्याशी केवल 17 कालेजों में ही अध्यक्ष पद पर जीत का स्वाद चख सके। प्रदेशभर के कालेजों में महासचिव पद के चुनावों में भी सबसे ज्यादा सीटें निर्दलीयों के हाथ लगी हैं। छात्र संघ मे इस बार गढ़वाल से कुमाऊं तक एबीवीपी और निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली। हालांकि 2019 में हुए चुनाव के मुकाबले इस बार एबीवीपी ने अपनी स्थिति में कुछ सुधार किया है।
एमकेपी में हारने के बाद एबीवीपी का हंगामा
एमकेपी में परिणाम घोषित होते ही एबीवीपी ने हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व महासचिव पद पर रीकाउंटिंग की मांग की। हालांकि उपाध्यक्ष पद पर चार वोट से हारी एबीवीपी की प्रत्याशी सात वोट से जीत गयी, लेकिन अध्यक्ष पद पर एनएसयूआई को दोबारा विजयी घोषित किया गया। छात्र रात भर धरने पर बैठे रहे। मतदान के दौरान करीब साढ़े 12 बजे जब कांग्रेस नेता गरिमा दसौनी कालेज गेट पर पहुंची तो एबीवीपी समर्थकों ने उनका विरोध शुरू कर दिया। इस दौरान एनएसयूआई व एबीवीपी समर्थकों में धक्का-मुक्की तक हुई।
एसजीजीआर पीजी कालेज में मारपीट
एसजीआरआर पीजी कालेज में छात्रसंघ चुनाव का परिणाम आते ही एबीवीपी और एनएसयूआई में जमकर मारपीट हुई। पुलिस ने लाठी फटकार कर छात्रों को खदेड़ा। पुलिस ने सुरक्षा के दृष्टिगत कालेज के मुख्य गेट को बंद कर दिया, जिसके कारण विजयी प्रत्याशी व चुनाव कमेटी रात 10 बजे तक भीतर ही फंसे रहे। सिटी मजिस्ट्रेट कुसुम चौहान व एसपी सिटी सरिता डोभाल ने किसी तरह मामला नियंत्रित किया। सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि चुनाव से जुड़ी ग्रीवांस कमेटी के समक्ष रविवार शाम को सुनवाई होगी। इसके बाद हंगामा कर रही छात्राओं को हटाया गया।
हल्द्वानी कालेज में पहली बार अध्यक्ष बनी छात्रा
प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े कालेज एमबी पीजी में रश्मि लमगड़िया ने जीत हासिल कर इतिहास रचा। 40 साल में पहली बार यहां किसी छात्रा को अध्यक्ष पद पर जीत मिली है। गढ़वाल में अब तक 37 सीटों पर घोषित परिणाम के अनुसार अध्यक्ष पद पर एबीवीपी को 15, जबकि निर्दलीयों को 13 व एनएसयूआई को नौ सीटों पर संतोष करना पड़ा। वहीं कुमाऊं में एबीवीपी को 22 और निर्दलीयों को 20 तथा एनएसयूआई आठ सीटों पर विजयी रही।
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