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मस्जिद के नीचे मंदिर! श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में सर्वे का आदेश

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मथुरा। मथुरा के सिविल जज सीनयर डिवीजन की अदालत ने शाही ईदगाह के सर्वे का आदेश दिया है। सिविल कोर्ट ने विवादित स्थल का सर्वे कर 20 जनवरी तक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। इस आदेश के बाद जहां हिंदू पक्ष में उत्साह है, वहीं मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना लिया है।

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में जिला कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उन्हें आदेश की जानकारी मीडियाके जरिये मिली। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। हिंदू पक्ष का दावा कि शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिन्ह मस्जिद के अंदर कई मंदिर होने के प्रतीक हैं। साथ ही मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है और शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत भी मौजूद हैं। हिंदू पक्ष चाहता है कि वैज्ञानिक तरीके से पुष्टि की जाये, जिसे लेकर करीब एक साल पहले याचिका दाखिल की गयी थी। जिसमें वीडियोग्राफी की मांग की गयी है। वहीं दूसरा पक्ष कह रहा है कि इस मुकदमे की कोई जानकारी थी। मुस्लिम पक्ष अब मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की तैयारी कर रहा है। जो इस पूरे आदेश को गलत बता रहा है।

कोर्ट ने क्या कहा आदेश में
आदेश में कोर्ट ने कहा कि सर्वे 2 जनवरी से होगा। इसकी रिपोर्ट 20 जनवरी तक कोर्ट में सौपनी होगी। सिविल कोर्ट ने इस मामले से भी जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने वादी विष्णु गुप्ता की अपील पर अमीन से भी रिपोर्ट मांगी है। ये याचिका 13.37 एकड़ भूमि को मुक्त कराने की मांग को लेकर दायर की गयी थी।

हिंदूपक्ष ने क्या कहा याचिका में
हिदू पक्ष की याचिका में कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर ईदगाह मस्जिद बनाई थी। हिंदू पक्ष ने भगवन श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास अदालत के सामने पेश किया। वहीं 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते हुए इसे खत्म किये जाने की मांग की है।

क्या है झगड़े की जड़
1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्णदास को दी थी। 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली। 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया। इसके बाद से लगातार ये मामला जंग का अखाड़ा बना हुआ है। https://sarthakpahal.com/

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