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खून चढ़ाने के बाद युवक की एचआईवी से मौत, मैक्स अस्पताल पर 10 लाख का जुर्माना

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देहरादून। देहरादून में निजी अस्पताल मैक्स की लापरवाही के खिलाफ एक बड़ा फैसला सामने आया है। उत्तराखंड स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन ने मोहाली के एक निजी अस्पताल की उस याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें देहरादून जिला उपभोक्ता अदालत खून चढ़ाए जाने के बाद मरने वाले मरीज के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश को चुनौती दी गई थी। लंबी सुनवाई के बाद 3 जनवरी 2022 को बोर्ड के निष्कर्षों का संज्ञान लेते हुए अदालत ने आदेश जारी किया।

चढ़ाए गए खून को मौत का जिम्मेदार माना
30 साल के इस व्यक्ति को गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद इलाज के लिए मोहाली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां रक्त चढ़ाने की आवश्यकता थी। बाद में 2017 में उनकी मृत्यु हो गई। मौत का कारण एचआईवी संक्रमण था। इस मामले में पत्नी ने कानूनी लड़ाई लड़ी। पत्नी ने तमाम सबूतों के साथ अस्पताल प्रशासन की ओर से चढ़ाए गए ब्लड को मौत का जिम्मेदार बताया था। कोर्ट ने भी अपने आदेश के जरिए उनके पक्ष को सही माना है।

मामला वर्ष 2014 का है। यूपी के सहारनपुर निवासी एक मरीज ने अप्रैल 2014 में मैक्स अस्पताल में अपने स्वास्थ्य की जांच कराई। उसे बताया गया कि उसकी दोनों किडनी खराब हो गई हैं। मरीज को बचाने के लिए उसकी पत्नी ने अपनी दाहिनी किडनी दान करने का फैसला लिया। किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया। अप्रैल 2014 से जुलाई 2017 तक मैक्स हॉस्पिटल में मरीज का इलाज चला। पैथलैब में ब्लड टेस्ट हुआ था। इसमें मरीज के खून में किसी प्रकार का इंफेक्शन नहीं था।

जुलाई 2017 में मरीज को एक बार फिर स्वास्थ्य की समस्या आई। मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। मरीज को बताया गया कि वह गंभीर एनिमिया से पीड़ित है। 17 जुलाई 2017 को ब्लड बैंक से दो यूनिट ब्लड लेकर चढ़ाया गया। इसके बाद भी स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। तबियत में कोई सुधार नहीं होता देख 3 अगस्त 2017 को परिजन उसे लेकर सिनर्जी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, देहरादून पहुंचे। यहां पर दो दिनों के बाद मरीज की मौत हो गई। https://sarthakpahal.com/

30 दिन के अंदर 10 लाख भुगतान का आदेश
जिला कंज्यूमर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा गया कि मैक्स अस्पताल आदेश के 30 दिनों के भीतर 10 लाख रुपये का भुगतान करे। मुआवजा नहीं देने की स्थिति में निर्धारित अवधि के भीतर याचिकाकर्ता मामला दर्ज करने की तारीख से उक्त राशि पर 9 फीसदी ब्याज पाने का हकदार होगा। इसके खिलाफ अस्पताल प्रशासन उत्तराखंड स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन में चला गया। आयोग ने अब अस्पताल को बड़ा झटका दे दिया है।

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