
सार्थक पहल। उत्तराखंड के रहने वाले भाष्कर भट्ट मुक्केेबाजी में जाना-पहचाना नाम है। चकदे इंडिया में कोच बने शाहरुख खान ने भारतीय महिला हाकी टीम को निखारकर विश्व विजेता बनाया था। सिनेमा के बहाने ही सही खेलों में बेटियों की काबिलियत को पहचान मिली। वहीं, अब देश की चार बेटियों को पिथौरागढ़ के भाष्कर भट्ट ने विश्व विजेता बनाया है। उनकी अगुवाई में पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिव में चारों बेटियों ने भाग लिया और स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। उत्तराखंड के रहने वाले 58 वर्षीय भास्कर भट्ट 2017 से युवा टीम के साथ हैं। पूर्व राष्ट्रीय कांस्य पदक विजेता भट्ट 1989 में पटियाला में मौजूद राष्ट्रीय खेल संस्थान से कोचिंग में डिप्लोमा पूरा करने के बाद 1992 में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) से जुड़े थे। उनके भाई डीपी भट्ट भी मुक्केबाज रह चुके हैं।
मुक्केबाजी प्रतियोगिता में नीतू घणघस, स्वीटी बूरा, निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहाई के स्वर्ण पदक जीतने पर पूरा देश गौरवान्वित है। चारों खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने में मुख्य कोच भाष्कर भट्ट का विशेष योगदान रहा है। बहुत कम लोग भाष्कर भट्ट के बारे में जानते होंगे। भाष्कर भट्ट मूल रूप से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के ग्राम नकरोड़ा, तहसील डीडीहाट के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि वे 2021 से राष्ट्रीय सीनियर ह्यूमन प्राधिकरण शिविर इंडिया के हेड कोच हैं।
निकहत जरीन समेत चारों खिलाड़ियों के बेसिक कोच अलग-अलग जगह से हैं, लेकिन 2021 से चारों खिलाड़ियों के हेड कोच वही हैं। उनकी टीम में कुल आठ कोच हैं। सभी मिलक खिलाड़ियों के खेल में सुधार लाने की पूरी कोशिश करते हैं। उनके चारों खिलाड़ी तकनीकी रूप से काफी मजबूत हैं। अभ्यास के साथ खिलाड़ियों को मानसिक रूप से फिट बनाया जाता है।
मैच जीतते ही बेटियों के गले मिलकर कहा- शाबाश
भाष्कर बताते हैं कि चारों बेटियां अच्छी खिलाड़ी हैं। नीतू ने 5-0 से, स्वीटी 4-3 से, निकहत ने मैच 5-0 से और लवलीना ने 5-2 से मैच जीतकर देश का नाम रोशन किया। मैच जीतते ही उन्होंने बेटियों को गले लगाया और उन्हें शाबाशी दी।
रिंग के बाहर खड़े होकर हौसला बढ़ाते रहे खिलाड़ियों का
चारों खिलाड़ियों के मुकाबले के दौरान भाष्कर भट्ट रिंग के बाहर खड़े रहे। उन्हें पूर्ण विश्वास था कि ये चारों बेटियां अपना-अपना मुकाबला जरूर जीतेंगी। क्योंकि उनका मुकाबला पूर्व चैंपियन से था, इसलिए दिल की धड़कने बढ़ रही थीं। जीत के हर एक पंच पर वे उत्साहित होकर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते रहे। https://sarthakpahal.com/