छत्तीसगढ़ को ‘विष्णु’, MP को मिला ‘मोहन’… राजस्थान के बंद लिफाफे में बाबा का नाम?

जयपुर। छत्तीसगढ़ को ‘विष्णु’ और MP को ‘मोहन’ मिल चुके हैं। अब बारी है राजस्थान के महाराज की। राजस्थान का रण तो बीजेपी ने जीत लिया, लेकिन ‘महाराजा’ किसे बनाया जाएगा, सबसे बड़ा सवाल यही है? क्या बीजेपी एक बार फिर वसुंधरा को सीएम की कुर्सी सौपेंगी। या राजस्थान में हिंदुत्व के पोस्टर बॉय बन गए बाबा बालकनाथ को सत्ता सौंपी जाएगी, या गजेंद्र शेखावत को नई जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा सीपी जोशी, दीया कुमारी, राजवर्धन राठौड़ जैसे नाम भी रेस में हैं।
बीजेपी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबको चौंका दिया। मध्य प्रदेश में बड़े-बड़े चेहरों को किनारे लगाते हुए हाईकमान ने कमान मोहन यादव को सौंपी है, तो छत्तीसगढ़ की बागडोर विष्णुदेव साय को। ऐसे में सवाल यही है कि राजस्थान में क्या होगा? क्या राजस्थान में भी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के पैटर्न पर नए चेहरे पर दांव लगाएगी या एक बार फिर से वसुंधरा राजे को आजमाएगी, चर्चा जोरों पर है,और सस्पेंस भी बरकरार है।
राजस्थान में आज विधायक दल की बैठक है। केंद्र ने राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडेय को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया है। ये तीनों नेता राजस्थान में बीजेपी के नए विधायकों से सीएम चेहरे को लेकर राय लेंगे। इसके बाद बीजेपी आलाकमान की मुहर के बाद आज सीएम पद का ऐलान हो जाएगा, लेकिन एमपी और छत्तीसगढ़ में बीजेपी आलाकमान ने जिस तरह से फैसला लेकर सबको चौंका दिया, उसे देखकर राजस्थान में बीजेपी के सभी 115 विधायकों की उम्मीद जग गई है कि बंद लिफाफे में उनका नाम भी हो सकता है। https://sarthakpahal.com/
छत्तीसगढ़ और एमपी की तरह राजस्थान में भी बीजेपी ने बिना सीएम चेहरे के चुनाव लड़ा था। बीजेपी इन चुनावों में पीएम मोदी के चेहरे पर जमीन पर उतरी। राजस्थान में 200 में से 199 सीटों पर हुई वोटिंग में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है। पार्टी ने 115 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, 69 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली।
दो बार सीएम रहीं वसुंधरा राजे इस बार भी मुख्यमंत्री पद के लिए जोर आजमाइश में लगी हैं। वे जयपुर से लेकर दिल्ली तक की जमीन नाप चुकी हैं। जहां वे जयपुर में बीजेपी के 60 से ज्यादा नए विधायकों से मुलाकात कर चुकी हैं। तो वहीं, दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ भी बैठक कर चुकी हैं। हालांकि, बीजेपी साफ कर चुकी है कि सीएम का फैसला संसदीय दल करेगा।