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लोगों के दिलों में फिर छाने यूट्यूब पर फिर वापस आया ‘गुलाबी शरारा…चंदा कैसेट का बताया जा रहा हाथ!

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नैनीताल, 25 फरवरी। उत्तराखण्ड सहित देश-दुनियां के 14 करोड़ से अधिक लोगों के दिलों पर राज करने वाला लोकगायक इंदर आर्या का हिट कुमाऊंनी गीत गुलाबी शरारा फिर से यूट्यूब में लौट आया है। शनिवार शाम करीब सात बजे जैसे ही यह यूट्यूब पर सर्च करते हुए नजर आया तो यूजर्स में उत्साह छा गया।

अगस्त 2023 में चैनल पर लांच हुआ था गुलाबी शरारा
अगस्त 2023 में यंग उत्तराखंड चैनल पर लांच हुआ गुलाबी शरारा गीत उत्तराखंड के लोकगीतों में पहला गीत बना, जो अब तक 14 करोड़ से अधिक लोगों की दिलों की धड़कन बन  चुका है। नेपाल की कलाकार भाविका प्रधान के इसमें रील बनाई तो यह इंस्टाग्राम में ट्रेंड कर गया।

पहाड़ के लोकसंगीत जगत में भूचाल
इसके बाद देश दुनियां के सेलिब्रिटी सहित उत्तराखंड मूल के बॉलीवुड कलाकारों ने रील बनाई। यहां तक कि देश-दुनियां के सोशल मीडिया इंफ्लून्सर ने रील बनाई। हाल ही में एक पुराने गढ़वाली गीत की धुन की कॉपी होने की वजह से यूट्यूब ने इस गीत को हटाया तो पहाड़ के लोकसंगीत जगत में भूचाल आ गया। इंटरनेट मीडिया में लोकगायक इंदर आर्या के समर्थन में मुहिम छिड़ गई। मामला कानूनी स्तर तक पहुंच गया था।

चंदा कैसेट को माना जा रहा है हाथ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक “चंदा पहाड़ी” नाम के एक यूट्यूब चैनल ने इस गीत पर कॉपीराइट स्ट्राइक दी थी, जिसके चलते यह सुपरहिट गीत यूट्यूब से हट गया था। “चंदा पहाड़ी” चैनल उसी चंदा कैसेट कंपनी का है जो बहुत पहले गढ़वाली- कुमाऊंनी लोकगीतों की कैसेट और सीडी बनाती थी। चंदा कैसेट की ओर से दावा किया गया है कि गुलाबी शरारा की धुन गजेन्द्र राणा के चिट रुमाल, और कल्पना चौहान के पिगली साड़ी वाले गीत से मिलती है। जिसके चलते कंपनी ने कॉपीराइट लगा दिया था। इस बारे लोकगायक गजेंद्र राणा ने सफाई देते हुए कहा था कि यूट्यूब की स्ट्राइक में उनका कोई हाथ नहीं है, उन्होंने जो गीत गाया, कंपनी के लिए गाया था और उसका मेहनताना लिया था। उनके पास खुद इसके राइट्स नहीं हैं, यह पूरी तरह चैनल का मामला है।

इंदर आर्य ने देश के अन्य लोगों का किया शुक्रिया
लोकगायक इंदर आर्या ने करोड़ों दिलों की धड़कन गुलाबी शरारा के यूट्यूब में वापस आने पर खुशी व्यक्त की और कहा कि यह उनका नहीं पूरे उत्तराखंड का गीत था। जिसे देश दुनिया के लोगों ने पसंद किया। उन्होंने इस मामले में किसी तरह की जानकारी होने से इनकार करते हुए इस पूरे प्रकरण पर समर्थन के लिए उत्तराखंड के साथ ही देश के अन्य लोगों का शुक्रिया अदा किया।

गीत वापस नहीं होता तो लोकधनों पर आ जाता संकट
साथ ही लोकगायक ललित मोहन जोशी, लोकगायक गोविंद दिगारी, यूट्यूबर अनिल पानू तथा सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनोज गोर्ख़िला का आभार प्रकट किया है। लोकगायक गोविंद दिगारी के अनुसार यदि यह गीत वापस नहीं होता तो पहाड़ के झोड़े, चांचरी सहित अन्य विधाओं की लोकधुनों पर ही संकट आ जाता। https://www.facebook.com/Sarthak_Pahal-101257265694407/

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