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उत्तराखंड में नियमित पदों पर नहीं होंगी संविदा और आउटसोर्सिंग से नियुक्तियां, आदेश जारी

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देहरादून, 25 अप्रैल। उत्तराखंड में विभिन्न विभागों के अंतर्गत आउटसोर्स, संविदा और दैनिक वेतन से जुड़ी नियुक्ति पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. हालांकि पहले भी इस तरह के आदेश हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में बड़ी संख्या में संविदा और आउटसोर्स पर कर्मचारियों की तैनाती हुई थी. ऐसे में मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने एक बार फिर ऐसी नियुक्तियों पर पूरी तरह से रोक लगाने का आदेश जारी किया है.

नियमित पदों पर संविदा और आउटसोर्सिंग से नियुक्तियां पर पूरी तरह से रोक
उत्तराखंड में संविदा, आउटसोर्स और दैनिक वेतनभोगी के रूप में कर्मियों की नियुक्ति का मामला हमेशा चर्चाओं में रहा है. हैरानी की बात यह है कि इस संदर्भ में राज्य स्थापना के बाद साल 2003, 2018 और 2023 में भी इसी तरह आउटसोर्स, दैनिक वेतन और संविदा के रूप में कर्मियों की तैनाती किए जाने पर रोक के आदेश किए गए थे. इसके बावजूद प्रदेश में बड़ी संख्या में संविदा कर्मी और आउटसोर्स पर कर्मचारी भर्ती किए गए.

मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
खास बात यह है कि मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने एक बार फिर राज्य में नियमित पदों पर संविदा कर्मी, आउटसोर्स या दैनिक वेतन कर्मी की तैनाती नहीं करने के आदेश दिए हैं. ऐसी नियुक्तियों पर पूरी तरह से रोक लगाने से जुड़ा आदेश भी जारी किया है.

स्वीकृत पदों के लिए मांग भेजनी होगी
आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि तमाम विभाग विभागीय संरचना में स्वीकृत नियमित पदों पर नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से ही कर्मचारियों की तैनाती करें. इसके लिए रिक्त पदों पर अधियाचन (डिमांड) भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं. खास बात यह है कि मुख्य सचिव आनंद वर्धन के इस आदेश के बाद अब राज्य में आउटसोर्स संविदा और दैनिक कर्मियों के रूप में कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाएगी.

आदेश आते ही शुरू हुआ ये अनुरोध
हालांकि इस आदेश आने के साथ ही कर्मचारी राज्य बीमा योजना विभाग के अंतर्गत विभिन्न संवर्गों में रिक्त पदों पर नियमित भर्ती होने तक अंतरिम व्यवस्था के अंतर्गत आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से कर्मचारियों की तैनाती किए जाने को लेकर शासन को प्रस्ताव भेजने से जुड़ा पत्र जारी किया है. यानी आदेश जारी होने के साथ ही कर्मचारी राज्य बीमा योजना के अंतर्गत आउटसोर्स एजेंसी से कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर अनुरोध किया जाने लगा है. जिससे यह साफ है कि पूर्व की भांति ही इस आदेश का भी शत प्रतिशत पालन करना शासन के लिए काफी मुश्किल होगा.

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